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मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर है. ऐसे में कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी बनी ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए दिन रात काम चल रहा है. भोपाल के ऑक्सीजन प्लांट पर कर्मचारी बिना थके काम कर रहे हैं, जिससे दूसरे के जीवन को बचाया जा सके. ऑक्सीजन के अभाव में किसी की जान न जाए. अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ये कर्मचारी अपने दुख दर्द भी भूल गए हैं. कोई कोरोना को मात देकर दोबारा काम पर आ गया है, तो किसी के घर में मौत का सन्नाटा भी अभी नहीं टूटा और उसने काम की बागडोर संभाल ली है.
दिन रात मेहनत कर बढ़ाई ऑक्सीजन की सप्लाई
राजधानी भोपाल में भी ऑक्सीजन का भारी संकट है. ऑक्सीजन की कमी के चलते लगातार मौतें हो रही थी. सरकार और प्रशासन को बाहर से ऑक्सीजन के टैंकर मंगाने पड़ रहे थे, तब भोपाल के inox एयर प्रोडक्ट के कर्मचारियों ने 24 घंटे काम करके ऑक्सीजन तैयार की, ताकि अस्पताल में समय पर उसकी सप्लाई हो सके. लिक्विड ऑक्सीजन बनाने वाली टीम और उसे अस्पतालों तक पहुंचाने वाली 60 लोगों की टीम इस दौरान बिना हौसला खोए दिन रत काम में जुटे रहे, ताकि लोगों के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम हो सके. इस दौरान यह कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव भी हुए. घरवालों की मृत्यु भी देखी, लेकिन हौसले के साथ काम में जुटे रहे कि कहीं ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मरीज की जान न चली जाए.
रिपोर्ट निगेटिव आते ही लौटे काम पर
ऐसे ही एक कोरोना हीरो हैं यहां काम करने वाले शाहिद, जो लगातार काम करते हुए कोरोना पॉजिटिव हो गए. शाहिद का काम यहां सिलिंडर रिफिल करना, सिलिंडरों को अस्पताल पहुंचाना और ऑक्सीजन यूनिट में खराबी आने पर उसे सही करने जाना. लगातार यह काम करते हुए शाहिद खुद कोरोना संक्रमित हो गए. 10 दिन अस्पताल में रहकर इलाज भी करवाया, लेकिन जैसे ही नेगेटिव रिपोर्ट आई, घर मे रहकर आराम करने की बजाय सीधे प्लांट में आ गए और अपने काम मे जुट गए.
शाहिद बताते हैं कि कोरोना के बाद अब पहले जितनी ताकत नहीं रही, काम करते समय जल्दी थकान भी हो जाती है, लेकिन दवाइयों को खाकर ही सही काम जरूर पूरा करना है.
पिता की मौत के बाद फिर लौटे काम पर
इसी प्लांट में काम करने वाले संजय पटेल का दुख और बड़ा है. संजय के पिता का कोरोना से निधन हो गया. संजय खुद कोरोना संक्रमित हो गए, लेकिन फर्ज के आगे दुख छोटा पड़ गया. रिश्तेदारों के मना करने के बाद भी संजय पटेल ने पिता के निधन के कुछ दिन बाद ड्यूटी ज्वाइन कर ली. संजय पटेल इस प्लांट में ऑक्सीजन की गुणवत्ता और उसके उत्पादन पर नजर रखते हैं.
संजय बताते हैं कि एक समय तो लगा कि मैं टूट जाऊंगा क्योंकि पिताजी ने ही जीवन में हमेशा सकारात्मक रहना सिखाया था, लेकिन उनकी ही बातें मुझे याद थीं कि फर्ज बड़ा होता है और इस समय लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत ऑक्सीजन की है, इसलिए मैंने जल्दी ड्यूटी ज्वाइन कर ली. शाहिद और संजय जैसे कोरोना हीरो की वजह से यहां 15 मीट्रिक टन से बढ़कर ऑक्सीजन का उत्पादन 100 मीट्रिक टन प्रतिदिन तक पहुंच गया है.