दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने कोविड-19 संक्रमण के कारण ब्लैक फंगस का शिकार हुए एक मरीज की जान एक बेहद ही जटिल सर्जरी के बाद बचाई. डॉक्टरों ने मरीज के शरीर से दाईं किडनी और बाएं फेफड़े का एक हिस्सा निकाल दिया, तभी मरीज को नई जिंदगी मिल सकी है.
अस्पताल के सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. उज्ज्वल पारख ने बताया कि गाजियाबाद के रहने वाले रंजीत सिंह कोरोना के बाद म्यूकोर्मिकोसिस यानी कि ब्लैक फंगस से पीड़ित हो गए थे. जब वे अस्पताल पहुंचे तो उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, थूक में खून आ रहा था और तेज बुखार था.
उन्होंने कहा कि जांच के बाद हम यह देखकर चौंक गए कि म्यूकोर न केवल उनके बाएं फेफड़े में बल्कि दाएं गुर्दे में भी फैल गया था. फेफड़े और किडनी के दोनों हिस्से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके थे और इसके आगे फैलने की आशंका थी. मरीज का जीवन बचाने के लिए ‘जीवन रक्षक प्रक्रिया’ के रूप में म्यूकोर संक्रमित हिस्से को हटाने की आपातकालीन योजना बनाई गई.
डॉक्टरों ने कहा कि चूंकि म्यूकोर तेजी से फैलने वाली बीमारी है और इससे अन्य अंगों को और नुकसान हो सकता है. इसलिए इनका इलाज तुरंत किया गया. 6 घंटे तक चली जटिल सर्जरी में मरीज के बाएं फेफड़े का एक हिस्सा और पूरी दाहिनी किडनी को सफलतापूर्वक अलग कर मरीज को बचा लिया.
डॉ. मनु गुप्ता ने कहा कि यह एक जटिल मामला था जिसमें म्यूकोर फेफड़े और गुर्दे के हिस्से में फैल गया. इस मामले में मरीज को बचाने के लिए समय बहुत ही कम था क्योंकि अन्य अंग प्रभावित हो रहे थे. गुर्दा काम नहीं कर रहा था. सर्जरी के दौरान यह पाया गया कि फंगस लगभग लीवर और बड़ी आंत में तेजी से फैल रहा है. इस प्रकार बड़ी कठिनाई के साथ, आस-पास के अंगों को क्षति पहुंचाए बिना गुर्दे को हटाया गया.
डॉ. उज्ज्वल पारख ने आगे कहा कि सर्जरी के बाद मरीज ठीक हो गया है, और अब उसके लिए एंटीफंगल दवाई चल रही है. लंबे समय तक एंटी फंगल थेरेपी के एक महीने बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई है. डॉक्टरों ने कहा कि मरीज बहुत अच्छा रिकवर कर रहा है और अब उसने अपना ऑफिस भी ज्वॉइन कर लिया है. सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि ये दुनिया का पहला ऐसा मामला है.