देश में कोरोना के मामले बीते दिनों में काफी घटे हैं. लेकिन तीसरी लहर की आशंका भी जताई जा रही है, वैसे में कोरोना को रोकने में कोरोना वैक्सीन एक बड़ा फैक्टर मानी जा रही है. कोरोना वैक्सीन सरकार द्वारा कोरोना खत्म करने के लिए अपनाई जा रही नीति का महत्वपूर्ण पिलर है.
सरकार टेस्ट, ट्रेक, ट्रीट और कोविड अनुरूप व्यवहार के माध्यम से कोरोना पर काबू पाना चाह रही है. कोरोना वैक्सीन को लेकर कई राज्य सरकारों और केंद्र सरकार में ठनी हुई है. प्रियंका गांधी, भूपेश बघेल, अरविंद केजरीवाल से लेकर कई अन्य विपक्षी नेताओं और मुख्यमंत्रियों ने केंद्र की वैक्सीन नीति पर सवाल खड़े किये हैं.
केंद्र सरकार राज्यों को मुफ्त में वैक्सीन मुहैया करा रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को वैक्सीन लगाई जा सके. वैक्सीन की नेशनल ड्राइव का तीसरा चरण (the Liberalized and Accelerated Phase-3 Strategy of Covid-19 Vaccination) एक मई से शुरू हो चुका है.
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इस नीति के तहत सेंट्रल ड्रग लेबोरेट्री (Central Drugs Laboratory) के द्वारा प्रति महीने जितनी भी वैक्सीन को अनुमति दी जाएगी वो चाहे किसी भी उत्पादनकर्ता की हों, इसकी पचास प्रतिशत वैक्सीन केंद्र द्वारा खरीदी जाएंगी. जिन्हें राज्यों को मुफ्त में मुहैया कराया जाएगा जैसा कि पहले से किया जा रहा है.
अब तक केंद्र ने दोनों माध्यमों से राज्यों को वैक्सीन मुहैया कराई है, एक फ्री ऑफ कोस्ट, दूसरा राज्य द्वारा वैक्सीन की डायरेक्ट खरीद, दोनों ही मामलों को मिलाकर केंद्र ने राज्यों को चौबीस करोड़ से अधिक वैक्सीन उपलब्ध कराई है. इनमें से 22,27,33,963 वैक्सीन डोज का यूज किया जा चुका है जिसमें खराब होने वाली वैक्सीन भी शामिल हैं.
इसके अलावा 1.93 करोड़ वैक्सीन(1,93,95,287) अभी भी राज्यों के पास उपलब्ध हैं. जिनका उपयोग किया जाना बाकी है. इस तरह राज्यों और केंद्र शासित राज्यों तक केंद्र द्वारा पहुंचाई गई वैक्सीन डोज का आंकड़ा चौबीस करोड़ पार कर चुका है.