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कोरोना वॉरियर्स के लिए इंश्योरेंस स्कीम खत्म? सरकार ने दी ये सफाई

एक तरफ देश में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है, तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने कोरोना वॉरियर्स को मिलने वाली बीमा योजना को वापस ले लिया है.

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बीमा योजना को पिछले साल 30 मार्च से शुरू किया गया था. (फाइल फोटो-PTI)
बीमा योजना को पिछले साल 30 मार्च से शुरू किया गया था. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पिछले साल शुरू हुई थी बीमा योजना
  • इस योजना के तहत 50 लाख रुपए तक का बीमा कवर होता है

एक तरफ देश में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है, तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने कोरोना वॉरियर्स को मिलने वाली बीमा योजना को वापस ले लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्य सरकारों को इसको लेकर राज्य सरकारों को पत्र भी लिखा है. स्वास्थ्य सचिव ने ये पत्र 24 मार्च को लिखा था, जो अब सामने आया है.

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दरअसल, सरकार ने पिछले साल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बीमा योजना शुरू की थी. इसके तहत कोरोना मरीजों के इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों का 50 लाख रुपए तक का बीमा कवर किया गया था. अगर ड्यूटी के दौरान किसी स्वास्थ्यकर्मी की मौत हो जाती है, तो उनके परिवार को 50 लाख रुपए तक की सुरक्षा मिलती.

24 मार्च को राज्यों को लिखी चिट्ठी में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने लिखा है, "इस बीमा योजना को शुरू में 90 दिन के लिए लागू किया गया था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 24 मार्च 2021 तक कर दिया गया था." उन्होंने लिखा कि कोरोना के इस दौर में इस योजना ने ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के परिवार को राहत देने का काम किया है. इस लेटर में इस बीमा योजना को बढ़ाने की बात नहीं कही गई है. इसका मतलब हुआ कि 24 मार्च 2021 को ये योजना खत्म हो गई है.

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हालांकि,  अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया कि इस योजना के तहत 24 अप्रैल 2021 तक बीमा क्लेम कर सकते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी बताया कि कोरोना वॉरियर्स के लिए सरकार जल्द ही दूसरी बीमा योजना लाने की तैयारी कर रही है.

स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक, इस योजना के तहत अब तक 287 क्लेम या तो एप्रूव हुए हैं या फिर उनका भुगतान कर दिया गया है. हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार 736 डॉक्टर्स ड्यूटी के दौरान जान गंवा चुके हैं. आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर ने बताया कि 736 में से सिर्फ 287 डॉक्टरों के परिवारों को ही बीमा की रकम दी गई. हालांकि, सरकार की तरफ से इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि ड्यूटी के दौरान कितने डॉक्टरों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

पिछले साल 26 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना की घोषणा की थी. इस योजना को शुरुआत में 90 दिन के लिए लागू किया गया था, लेकिन बाद में इसको बढ़ाकर 24 मार्च 2021 कर दिया गया था. इस स्कीम के तहत न सिर्फ सरकारी, बल्कि प्राइवेट डॉक्टरों को भी कवर किया गया था. 

 

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