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जिग्नेश मेवानी ने जिस NGO के जरिए ऑक्सीजन प्लांट के लिए इकट्ठा किया चंदा, उसका खाता सीज

कोरोना संकट में लोगों की जान बचाने के लिए तैयार किए जा रहे ऑक्सीजन प्लांट बनाने की योजना पर पानी फिर गया. चैरिटी कमिश्नर ने इस एनजीओ को फ्रॉड बताकर खाता सीज कर दिया. इस मामले में निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने साफ कहा है कि इस समय में भी गंदी राजनीति हो रही है. 

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निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी
निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अपने क्षेत्र में ऑक्सीजन प्लांट लगवा रहे थे विधायक
  • एनजीओ के माध्यम से 35 लाख रुपये का किया चंदा 
  • राजनीति द्वेष के तहत एनजीओ पर कार्रवाई का आरोप

गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी के नाम पर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है. इस बार ये विवाद ऑक्सीजन प्लांट के नाम पर मांगे जा रहे चंदे को लेकर है. दरअसल विधायक मेवानी जिस एनजीओ वी द पीपल के नाम पर डोनेशन कैंपेन चलाकर ऑक्सीजन प्लांट के लिए पैसा एकत्र कर रहे थे, उस एनजीओ का खाता सीज कर दिया गया है. चैरिटी कमिश्नर ने इस एनजीओ को फ्रॉड बताते हुए ये कार्रवाई की है. 

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इसलिए हुए कार्रवाई 

गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी का इस मामले में आरोप है कि इस एनजीओ से उनका नाम जुड़ा हुआ था, बस इसी कारण ये एनजीओ पर कार्रवाई की गई है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में जब एक दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए, वहीं यहां पर गंदी राजनीति हो रही है.

बता दें कि जिग्नेश मेवानी ने कुछ दिनों पहले अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो के जरिए लोगों को खुद के मतक्षेत्र में ऑक्सीजन प्लानंट लगाने के लिए पैसे इकट्ठा करने में मदद करने की गुहार लगाई थी. जिस में जिग्नेश मेवानी ने एक एनजीओ वी द पीपल के नाम और अकाउंट डिटेल्स दी थीं. हालांकि इस वीडियो के बाद जिग्नेश मेवानी के जरिए  कोविड की महामारी में अब तक 36 लाख से भी ज्यादा की रकम इकट्ठी की गई थी. 

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चैरिटी कमिश्नर ने खाता किया बंद 
वहीं इस एनजीओ के खाते को चैरिटी कमिश्नर ने ये कहते हुए बंद कर दिया कि ये फ्रॉड है. हालांकि इस मामले में ​विधायक जिग्नेश मेवानी का कहना है कि खाता फ्रॉड हो या फिर एनजीओ फ्रॉड है. यदि ये फ्रॉड है  तो फिर इस एनजीओ को चलाने की अनुमति कैसे दी गई.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस पैसे से वे अपने क्षेत्र में ऑक्सीजन प्लांट लगवाना चाहते थे, जिससे कोरोना काल में मरीजों की जान बचाई जा सके, लेकिन सरकार नहीं चाहती है कि ऑक्सीजन प्लांट लगे, जिसकी वजह से जान बूझकर ये कार्रवाई की गई है. 

 

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