चीन में कोरोना की स्थिति हर बीतते दिन के साथ और बेकाबू होती जा रही है. लॉकडाउन लगने और मास टेस्टिंग के बावजूद भी चीन में कोरोना मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. चीन की सर्वाधिक आबादी वाले वाणिज्यिक शहर शंघाई में तो स्थिति और ज्यादा चिंता में डालने वाले हैं. वहां पर पिछले कई दिनों से लगातार 20 हजार के करीब मामले सामने आ रहे हैं.
बुधवार के जो आंकड़े जारी हुए हैं उसके मुताबिक 21,784 तो बिना लक्ष्ण वाले मामले सामने आए हैं, वहीं अकेले शंघाई में 19,660 केस दर्ज हुए हैं. जिस तेजी से शंघाई में कोरोना मामले बढ़ रहे हैं, इसे चीन का कोरोना एपीसेंटर माना जा रहा है. सख्त पाबंदियां तो लागू कर दी गई हैं, लेकिन ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से मामलों की रफ्तार कम होने के बजाए बढ़ती दिख रही है.
खराब होती स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हजार से ज्यादा मिलिट्री डॉक्टरों को भी अब शंघाई के अस्पतालों में नियुक्त कर दिया गया है. ये चीन की वहीं रणनीति है जो उसने 2019 में वुहान के लिए भी लागू की थी. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अभी तक ये रणनीति भी जमीन पर प्रभावी साबित नहीं हो रही है. एक मार्च से अभी तक शंघाई में कोरोना के कुल 114,000 मामले सामने आ चुके हैं. स्थिति को काबू में करने के लिए अभी तक चीन सरकार द्वारा तीन बार शंघाई में मास टेस्टिंग करवाई जा चुकी है. पूरा प्रयास किया जा रहा है कि कोरोना की चेन को तोड़ा जाए.
लेकिन इस बीच शंघाई में सख्त लॉकडाउन लगाया गया है, उस वजह से फूड सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. सरकारी दावों के बीच जमीन पर लोग सब्जी, मीट, चावल जैसे खाद्य पदार्थों के लिए भी तरस गए हैं. आरोप लग रहे हैं कि सरकार सिर्फ खोखले वादे कर रही है, लेकिन जमीन पर कोई भी मदद नहीं कर रहा है. इस सब के ऊपर चीनी सरकार की तरफ से सख्ती के नाम पर बच्चों के कोरोना पॉजिटिव होने पर उन्हें मां-बाप से दूर किया जा रहा है. ऐसी भी खबरें हैं कि संक्रमित लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध क्वारंटीन सेंटर भेजा जा रहा है.