चीन में कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों के 41 नए मामले सामने आए हैं. लेकिन ये सभी दूसरे देशों से आए लोगों के हैं. इससे पहले गुरुवार को भी चीन में COVID-19 का कोई भी नया केस सामने नहीं आया था. पिछले दो दिनों में बाहर से कोरोना संक्रमण के कुल 75 मामले सामने आ चुके हैं.
इस खबर का मतलब यह हुआ कि चीन में फिलहाल संक्रमण के मामले थमे हैं. क्योंकि दो लगातार दिनों में जो भी मामले दिखे हैं वो दूसरे देश से आए हुए लोगों के अंदर ही दिखे हैं.
वहीं जापान में गुरुवार तक कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले महज 924 थे और इससे मरने वालों की संख्या 29 रही. विशेषज्ञ इस बात को लेकर हैरान हैं कि आखिर जापान में इतने कम मामले क्यों हैं? क्या वाकई जापान ने कोरोना को कंट्रोल कर लिया है? कुछ लोग भारत के मामले में ही दिए जा रहे तर्क को जापान के लिए भी दोहरा रहे हैं.
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कहा जा रहा है कि आबादी के लिहाज से कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जितना टेस्ट किया जाना चाहिए था, वो नहीं हो रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ मनितोबा में वायरल पैथोजेनेस के प्रोफेसर जैसोन किंद्राचक का कहना है कि अगर कोई मुल्क अपने बड़े पैमाने पर टेस्ट नहीं करेगा तो मामले भी कम ही सामने आएंगे.
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेद्रोस अधानोम गेब्रेसुस ने कोविड-19 प्रतिनिधिमंडल की ब्रीफिंग में कहा था कि चीन में पहली बार कोई नया घरेलू पुष्ट मामला सामने नहीं आया है, जो एक बड़ी सफलता है. टेद्रोस ने कहा कि वर्तमान में विश्व के 70 प्रतिशत से अधिक देशों व क्षेत्रों ने कोविड-19 के मुकाबले के लिए राष्ट्रीय आपात परियोजना बनाई है.
89 प्रतिशत देशों व क्षेत्रों को प्रयोगशाला में वायरस की जांच करने की क्षमता होती है. साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 68 देशों व क्षेत्रों को व्यक्तिगत रक्षात्मक उपकरण दिए, और 120 देशों व क्षेत्रों को 15 लाख डायग्नोस्टिक किट भेजे. उन के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ चीनी आपूर्तिकर्ताओं के साथ समझौते किए हैं. वे विश्व स्वास्थ्य संगठन को संबंधित सामान का निर्यात कर सकेंगे.