इंडोनेशिया में 350 से अधिक डॉक्टर और हेल्थ वर्कर चीनी वैक्सीन सिनोवैक (Sinovac) लगवाने के बाद भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. यही नहीं इनमें से दर्जनों लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है. इस घटना के बाद अधिक संक्रामक कोरोना वैरिएंट के खिलाफ कुछ वैक्सीनों की प्रभावकारिता के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं.
रॉयटर्स के मुताबिक, मध्य जावा के Kudus जिले में हेल्थ ऑफिस के प्रमुख बदाई इस्मायो ने कहा, 'अधिकांश हेल्थ वर्कर घर पर एसिम्टोमैटिक और आइसोलेशन में थे, लेकिन दर्जनों तेज बुखार और ऑक्सीजन लेवल में गिरावट के साथ अस्पताल में भर्ती कराए गए थे. बता दें कि Kudus जिले में लगभग 5,000 हेल्थ वर्कर हैं. दावा किया गया कि यहां कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने तेजी से कोरोना केस बढ़ाए हैं.
इंडोनेशिया में प्राथमिकता के आधार पर हेल्थ वर्कर्स का जनवरी में टीकाकरण शुरू हुआ. इंडोनेशियाई मेडिकल एसोसिएशन (IDI) का कहना है कि लगभग सभी को चीनी बायोफार्मास्युटिकल कंपनी सिनोवैक द्वारा विकसित COVID-19 वैक्सीन दी गई.
टीकाकरण के बाद एक स्टडी के हवाले से दावा किया गया कि देश में कोरोना से मरने वाले इंडोनेशियाई हेल्थ वर्कर्स की संख्या जनवरी में 158 से घटकर मई में 13 हो गई. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हेल्थ वर्कर्स का अस्पताल में भर्ती होना चिंता का कारण है.
इस घटनाक्रम के बाद सिनोवैक और इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता वायरस के नए रूपों के खिलाफ चीनी वैक्सीन की प्रभावकारिता पर टिप्पणी के लिए तुरंत उपलब्ध नहीं थे.
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस महीने सिनोवैक के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी देते हुए कहा कि परिणामों से पता चला है कि इसने 51% लोगों में बीमारी को रोका और गंभीर कोरोना की स्थिति में जाने से भी रोका.
गौरतलब है कि इंडोनेशिया में 1.9 मिलियन से अधिक कोरोना के केस और 53,000 मौतें दर्ज की गई हैं. यहां डॉक्टरों और नर्सों की बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं.