चीनी कोरोनावायरस वैक्सीन को लेकर खुलासा हुआ है कि उसकी प्रभावशीलता कम है. ऐसे में चीनी सरकार इसकी प्रभावशीलता की दर बढ़ाने के लिए COVID-19 वैक्सीन को मिक्स करने, डोज बढ़ाने और वैक्सीन लगाए जाने के तरीकों आदि पर विचार कर रही है. चीनी वैक्सीन की कम प्रभावशीलता के बारे में खुद वहां के टॉप हेल्थ अधिकारी ने बयान दिया है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चाइना सेंटर फॉर डिजीज गाओ फू चेंगदू शहर में शनिवार को एक सम्मेलन में बोल रहे थे. यहां उन्होंने कहा कि चीनी वैक्सीन की बहुत उच्च सुरक्षा दर नहीं है. ऐसे में क्या अब हमें टीकाकरण प्रक्रिया के लिए अलग-अलग वैक्सीन का उपयोग करना चाहिए. टॉप हेल्थ अधिकारी ने कहा है कि चाइनीज कोरोना वैक्सीन कम असरदार हैं और सरकार इसे और अधिक प्रभावी बनाने पर विचार कर रही है.
बताया गया कि चीनी दवा निर्माता कंपनी सिनोवैक और सिनोफार्म की वैक्सीन को इंडोनेशिया, हंगरी, ब्राजील, मेक्सिको, तुर्की और तुर्की समेत कई देशों में सप्लाई किया गया है. ब्राजील में सिनोवैक की वैक्सीन के असरदार होने की दर 50.4 प्रतिशत पाई गई. वहीं, इसके मुकाबले पश्चिमी देश की फाइजर द्वारा बनाई गई वैक्सीन 97 प्रतिशत असरदार मिली.
मालूम हो कि चीन अपने लिए देश में बनी वैक्सीन को महत्व दे रहा है. उसने दूसरे देश की वैक्सीन को चीन में अप्रूवल नहीं दिया है. हालांकि, खुद उसने कई देशों में चीनी वैक्सीन सप्लाई की है. लेकिन अब जब खुद उसने मान लिया है कि उसकी वैक्सीन कम इफेक्टिव है, तो इसपर सवाल उठना लाजिमी है.
गौरतलब है कि चीन के टॉप हेल्थ अधिकारी गाओ का यह बयान ऐसे समय आया है जब चीन ने अन्य देशों को वैक्सीन की करोड़ों डोज सपलाई की हैं. इसके अलावा वह पश्चिमी देशों के टीकों के प्रभावी होने पर संशय पैदा करने की लगातार कोशिश कर रहा है. ऐसे में आगे से कोई देश चीनी वैक्सीन भरोसा करेगा या नहीं ये देखने वाली बात होगी. साथ ही जो वैक्सीन उसने सप्लाई कर दी हैं, क्या उस डील पर कोई असर पड़ेगा.