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कोरोनाः क्या एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन भारत में भी होगी बैन? जानें क्या है पूरा विवाद

पूछा जा रहा है कि क्या एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन भारत में भी बैन होगी? जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट तैयार कर रहा है. भारत में इस वैक्सीन का नाम है- कोविशील्ड. सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय का कोविशील्ड पर बैन लगाने को लेकर अभी तक तो कोई विचार नहीं है. ऐसा क्यों है?..ये समझने के लिए हम आपको कुछ बातें आसान भाषा में बताते हैं.

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कई देशों ने एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित वैक्सीन पर रोक लगाई (फाइल फोटो-PTI)
कई देशों ने एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित वैक्सीन पर रोक लगाई (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को WHO की क्लीनचिट
  • वैक्सीनेशन के बाद क्लॉटिंग का संबंध नहीं: WHO

दुनियाभर में इन दिनों कोरोना वैक्सीनेशन जोरों पर है. लेकिन एक खबर वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए बाधा बन गई है. खबर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन को लेकर है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग यानी खून के थक्के जमने का खतरा है, और अब ये डर तेजी से एक देश से दूसरे देश में फैल रहा है.

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इसकी वजह से यूरोपियन यूनियन के तीन सबसे बड़े देशों जर्मनी, फ्रांस और इटली ने एस्‍ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन के रोलआउट पर अस्थाई रोक लगा दी है. इसके बाद स्पेन, पुर्तगाल, लातविया, बुल्गारिया, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, आयरलैंड ने भी इसका टीकाकरण रोक दिया. इंडोनेशिया ने भी वैक्सीन का रोलआउट टालने का फैसला किया है. इस तरह से दुनिया के लगभग 14 देशों ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर फिलहाल रोक लगा दी है.

इसके बाद अब ये भी पूछा जा रहा है कि क्या एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन भारत में भी बैन होगी? जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट तैयार कर रहा है. भारत में इस वैक्सीन का नाम है- कोविशील्ड. सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय का कोविशील्ड पर बैन लगाने को लेकर अभी तक तो कोई विचार नहीं है. ऐसा क्यों है?..ये समझने के लिए हम आपको कुछ बातें आसान भाषा में बताते हैं.

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पहले ये समझिए कि एस्ट्राजेनेका एक ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी है. वैसे ही जैसे, भारत का सीरम इंस्टीट्यूट. एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट दोनों ही जिस वैक्सीन का उत्पादन कर रही हैं, वो वैक्सीन ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित की है. यानी वैक्सीन एक है लेकिन उत्पादक कंपनी अलग-अलग हैं. भारत में इस वैक्सीन पर रोक ना लगने की तीन महत्वपूर्ण वजह हैं.

पहली ये कि कई देशों ने एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित वैक्सीन पर रोक लगाई है. ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित वैक्सीन पर नहीं. दूसरी बात ये कि भारत में एस्ट्राजेनेका नहीं बल्कि सीरम इंस्टीट्यूट इस वैक्सीन को बना रहा है जिसका नाम कोविशील्ड है, और तीसरी ये है कि सूत्रों के मुताबिक भारत में जिन्हें कोविशील्ड दी गई है उनमें ब्लड क्लॉटिंग की शिकायत सामने नहीं आई है.

कोविशील्ड रोक लगाने की कोई वजह नहीं 

फिलहाल भारत में कोविशील्ड वैक्सीनेशन पर रोक लगाने की कोई वजह नहीं है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय इसे लेकर गंभीर है. कोई भी फैसला लेने से पहले स्वास्थ्य मंत्रालय इस वैक्सीन के वैज्ञानिक सबूतों को परखना चाहता है. वैक्सीनेशन को लेकर बनी एक सरकारी कमेटी जल्द ही इस पर बैठक करने वाली है. लेकिन सवाल ये भी है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर जब कई देश रोक लगा चुके हैं तो क्या ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देश भी इस वैक्सीन को लेकर एहतियात बरतेंगे और क्या गरीब देशों को मुफ्त वैक्सीन देने का प्रोग्राम भी प्रभावित होगा?

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कैसी शिकायतें मिलीं

यूरोप के कई बड़े देशों समेत कम से कम 14 देशों में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर रोक लग चुकी है. वजह है वैक्सीन लगाए जाने के बाद लोगों के शरीर में खून के थक्के बन जाने की शिकायतें जिसकी वजह से डेनमार्क में एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है. एस्ट्राजेनेका ने खुद बताया है कि 8 मार्च तक उसके पास आए डेटा के मुताबिक ब्रिेटेन और यूरोपियन यूनियन के देशों में 1 करोड़ 70 लाख लोगों में. डीप वीन थ्रॉम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) की 15 शिकायतें आईं हैं. इस बीमारी में शरीर के भीतर नसों में खून के थक्के बनने लगते हैं.

जबकि 22 घटनाएं पल्मोनरी एम्बॉलिज्म (Pulmonary Embolism) की रिपोर्ट हो चुकी हैं जिसमें नसों में जमे खून के थक्के फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और मरीज की जान भी जा सकती है.

वैज्ञानिकों के तर्क

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इतने कम केसों के आधार पर किसी वैक्सीन पर उंगली उठाना जल्दबाजी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि अभी तक ऐसे कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं मिले हैं जो ये साबित करते हों कि ब्लड क्लॉटिंग की वजह एस्ट्राज़ेनेका का वैक्सीन है.

ब्रिटेन में 1 करोड़ 10 लाख लोगों को ये वैक्सीन दी जा चुकी है जिनमें से 11 लोगों को ब्लड क्लॉटिंग की परेशानी हुई है और किसी भी केस में इसकी वजह वैक्सीन को नहीं बताया गया है. इसके बाद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों ने वैक्सीन पर भरोसा जताया है. ब्रिटेन तो अपनी कंपनी की वैक्सीन को लेकर फुल कॉन्फिडेंस में है.

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WHO की क्लीनचिट

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये शक जरूर जताया है कि हो सकता है कि एस्ट्राजेनेका में ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को तैयार करने की प्रक्रिया में कोई चूक हुई हो. लेकिन एस्ट्राजेनेका ने इससे इनकार किया है. WHO ने कुछ और महत्वपूर्ण बातें साफ कर दी हैं... जैसे कि अभी तक जिन देशों ने एस्ट्राजेनेका के टीकों पर रोक लगाई है उनमें से एक को भी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन सप्लाई नहीं की है.

को-वैक्स प्रोग्राम के तहत ऑक्सफोर्ड की जितनी भी वैक्सीन आर्थिक रुप से कमजोर देशों को सप्लाई की गईं हैं वो भारत और साउथ कोरिया में बनाई जा रही हैं जो पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

WHO ने भी तमाम देशों से इस वैक्सीन पर रोक न लगाने की अपील की है. यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने भी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को क्लीन चिट दे दी है. इसपर भरोसा करते हुए कई देश जल्द ही इस वैक्सीन पर लगी रोक को हटा सकते हैं. थाइलैंड ने तो ऐसा कर भी दिया है.

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