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कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश के अलग-अलग हिस्सों में तबाही का मंजर दिखा दिया है. उत्तर हो या दक्षिण इस वक्त हर इलाका इस महामारी की चोट का सामना कर रहा है. दूसरी लहर के इस तांडव के बीच सबके डराने वाली खबर ये है कि अब इस महामारी ने देश के गांवों में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. पहली लहर में सरकार कोशिश कर रही थी गांवों को किसी तरह बचाया जाए, लेकिन अब दूसरी लहर में देश के अलग-अलग हिस्सों के गांव इस महामारी का शिकार बन रहे हैं.
गांवों में महामारी के प्रवेश करने से कई तरह के खतरे हैं. एक तो गांवों में शहरों की तरह उस हद तक की जागरुकता नहीं हैं, दूसरा गांवों में वैसी स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं है जहां अगर किसी को ज़रूरत पड़ती है तो तुरंत इलाज किया जा सके. गांवों में टेस्टिंग, इलाज की सुविधा ना होने से, गांव वाले भी अगर कोई लक्षण आ रहा है तो खुद को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं. यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश समेत हिन्दी पट्टी के अलग-अलग राज्यों के गांवों से डराने वाली खबरें आने भी लगी हैं...
यूपी के गांवों में डराने वाले हालात...
उत्तर प्रदेश के आगरा के दो गांवों से जो खबर आई वो हर किसी को झकझोर सकती है. यहां मात्र 20 दिनों में ही कोरोना का कहर इतना घातक था कि 64 लोगों की जान चली गई. आगरा के दो गांवों में सिर्फ 20 दिन में 64 लोग जान गंवा बैठे, इन सभी में पहले खांसी, बुखार, जैसे लक्षण आए जब शुरुआत में ही कुछ एक्शन ना लिया गया तो अंत में सांस लेने में तकलीफ हुई और मौत आ गई.
यूपी के आगरा से इतर कानपुर में भी कुछ ऐसा ही हाल है. यहां घाटमपुर इलाके के ग्रामीण क्षेत्र में पिछले दो हफ्ते में करीब 30 लोगों की जान चली गई है. हाल ये है कि कोई स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी कोई सुध लेने वाला नहीं है और किसी तरह का एक्शन नहीं लिया जा रहा है. गांव वालों का सिर्फ इतना ही कहना है कि पहले लोगों को सर्दी, जुकाम, खांसी या बुखार जैसी तकलीफ हो रही है, लेकिन बाद में मौत हो जा रही है. गांव में लोग मर रहे हैं, लेकिन अस्पताल का हाल बुरा है. स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका हुआ है.
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बुलंदशहर के परवाना गांव में पंचायत चुनाव खत्म हुए तो अब कोरोना महामारी को लेकर सतर्क हो गए हैं. यहां गांववालों ने खुद ही गांव के मुख्य द्वार पर सख्ती बढ़ी दी है और किसी बाहरी को अंदर प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं. इस पूरे इलाके में 11 दिन में 17 लोगों की मौत हुई है, गांववालों ने इसके पीछे कोरोना को ही कारण बताया है ऐसे में सख्ती बढ़ा दी गई है.
यूपी के मेरठ शहर में पहले से ही कोरोना का तांडव है, लेकिन अब देहात इलाके में भी इसका असर दिख रहा है. कई गांवों में लगातार कोरोना मामलों में इजाफा हो रहा है. मेरठ के अमहेड़ा गांव में भी कोरोना से दहशत है, गांव के लोगों का कहना है कि यहां कुछ लोगों को कोरोना से जान चली गई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम अभी तक गांव में नहीं पहुंची. गांव के लोगों का कहना है कि 5 से 6 दिनों में 6 लोगों की मौत हुई है, मौतों से लोग दहशत में है.
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बिहार के गांवों में मौत, नदी में मिली लाशें
उत्तर प्रदेश से ही सटे बिहार में भी हालात कुछ कम डरावने नहीं हैं. बिहार में शहरी इलाका हो या ग्रामीण कोरोना का प्रकोप हर जगह है और सभी जगह स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खस्ता है. बिहार के बक्सर में बीते दिनों गांव के किनारे पर नदी में कुछ शव देखने को मिले, तो हर कोई डर गया. बक्सर के बाद यूपी-बिहार बॉर्डर के पास यूपी के गाजीपुर के गहमर गांव में भी ऐसा ही हुआ. यहां गंगा नदी में दर्जनों शव तैरते हुए दिखे, जिसके बाद गांव में हड़कंप-सा मच गया.
गाज़ीपुर से बिहार की तरफ बहने वाली नदी में ये शव देखने को मिले हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल ही के दिनों में बीमारी की वजह से कुछ लोगों की मौत हुई है, क्योंकि कोरोना काल में जलाने के लिए लकड़ियों की कमी है यही वजह है कि लोग शवों को नदी में बहा दे रहे हैं.
बिहार के ही मुंगेर जिले में भी कोरोना के कारण गांवों में हालात बहुत खराब हो चुके हैं. मुंगेर के बागेश्वरी गांव में जब लोगों से पता किया तो यहां के मुखिया पति मगनदेव मंडल का कहना है कि अग्रहण पंचायत में अब तक कुल 12 लोगों की मौत की सूचना हमारे पास है तथा कई लोग अभी भी अलग-अलग अस्पतालों में इलाजरत हैं. इसके अलावा दर्जनों लोगों को होम क्वारनटीन किया हुआ है, आसपास के कुछ गांवों में भी महामारी अपने पैर पसार रही है.
हरियाणा के रोहतक से डराने वाले आंकड़े...
दिल्ली से सटे हरियाणा के गांवों में भी कोरोना ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. कोरोना रोगियों की संख्या कुछ दिनों में इस कदर ज्यादा बढ़ी है कि चिकित्सा सुविधाएं नाकाफी होती जा रही हैं. खतरा इसलिए भी बड़ा है क्योंकि गांव में अभी तक ना तो आइसोलेशन सेंटर बन पाए हैं और ना ही क्वारंटाइन सेंटर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी पर्याप्त संसाधन नहीं दिख रहे हैं. रोहतक से 10 किलोमीटर दूर टिटौली के ग्रामीण इलाके में कोरोना के कारण लगातार मौतें हो रही हैं. यहां 10 दिन में करीब 40 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है.
इन मौतों के कारण तो स्पष्ट नहीं हो पाए हैं, लेकिन बुखार के बाद तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह सामने आई है. ग्रामीणों में कोरोना से ही मौत होने की चर्चा है. मरने वालों में बुजुर्ग, अधेड़, महिलाएं व युवा शामिल हैं. छह से सात मौत 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की हुई हैं, अब प्रशासन हरकत में आ गया है और कोरोना संक्रमण जांचने के टेस्ट भी शुरू कर दिए गए हैं.
रोहतक के ग्राम टिटौली के ग्राम प्रधान सुरेश कुमार ने यह जानकारी दी है कि पिछले कुछ दिनों में 300 से 400 लोगों के कोरोना टेस्ट रोहतक प्रशासन की तरफ से कराए गए हैं, जिसमें करीब 70 से 72 लोग कोरोना पॉजिटिव आए हैं.
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गौरतलब है कि सिर्फ उत्तर प्रदेश या बिहार ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों के ग्रामीण इलाकों से इसी तरह की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं. जहां गांव की गली-गली में लोगों को बुखार, सर्दी, जुकाम जैसे लक्षण हैं, लेकिन किसी तरह की सुविधा ना होने की वजह से कोई जांच नहीं हो रही है और ना ही उस तरह की सख्ती गांवों में हैं.
ऐसे में अगर शहरों में ही कोरोना की इस लहर ने इतनी तबाही मचा दी है तो गांवों में वक्त रहते कुछ बड़े और कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो कोरोना अपना विकराल रूप दिखा सकता है.
भारत में कोरोना का हाल
24 घंटे में कुल केस: 3,29,942
24 घंटे में मौतें: 3,876
कुल केस: 2,29,92,517
एक्टिव केस: 37,15,221
कुल मौतें: 2,49,992
कुल लगे टीके: 17,27,10,066