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दिल्ली में कम हुए कोरोना के मामले, लेकिन अभी भी भरे हैं ICU बेड

दिल्ली में कोविड मामलों की संख्या में काफी कमी आई है. बेड ऑक्यूपेंसी भी बड़ी संख्या में कम हुई है, लेकिन अभी भी विभिन्न अस्पतालों में बड़ी संख्या में आईसीयू बेड भरे हुए हैं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में 500 से कम नए केस
  • 60% ही ICU बेड हुए खाली

दिल्ली में कोरोना के केस लगातार घट रहे हैं. कल सिर्फ 487 नए केस दर्ज किए गए. कुल 80 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए और इस तरह संक्रमण की दर सिर्फ 0.61 फीसदी रही. हालांकि मौतों की तादाद अभी भी चिंता की बात है. कल ही कोरोना से 45 लोगों की मौत हो गई. दिल्ली में अब एक्टिव केस 8 हजार 748 बचे हैं. 

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चूंकि दिल्ली में कोविड मामलों की संख्या में काफी कमी आई है. बेड ऑक्यूपेंसी भी बड़ी संख्या में कम हुई है, लेकिन अभी भी विभिन्न अस्पतालों में बड़ी संख्या में आईसीयू बेड भरे हुए हैं, जबकि पिछले 3 हफ्तों में गैर-आईसीयू बेड ऑक्यूपेंसी में 90% से अधिक की गिरावट आई है, वहीं आईसीयू में केवल 60% की कमी आई है

दिल्ली और मुंबई में कोरोना के केस कम हो रहे हैं. दोनों महानगरों में महामारी की दूसरी लहर लगातार सिमटती जा रही है. दिल्ली में कोरोना के नए केस काफी दिन बाद 500 के नीचे आ गए तो मुंबई में नए बीमार 1000 से कम हो गए. दिल्ली 78 दिन के बाद कोरोना के नए केस इतने कम हुए हैं.

इससे पहले दिल्ली में 16 मार्च को 500 से कम नए मामले आए थे, जो दूसरी लहर में 20 अप्रैल को 28 हजार 395 तक जा पहुंचे और अब जाकर 24 घंटे में नए केस 487 तक आए. इसके साथ ही राजधानी में कोरोना से मौत के आंकड़े भी तेजी से नीचे आए हैं. 11 अप्रैल के बाद 24 घंटे में महामारी से 50 से कम मौत हुई. 3 मई को 448 लोगों की जान चली गई थी. 

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मुंबई भी कोरोना को मात देती दिखी रही है. मुंबई में 2 मार्च के बाद कोरोना के नए केस 1000 से कम आए. 3 अप्रैल को ये आंकड़ा 11 हजार के पार हो गया था. अब जाकर 961 पर थमा है. मुंबई को मौत के कहर से भी राहत मिली है. यहां कोरोना से मरने वालों की संख्या में तेजी से कमी आई है. 88 दिन बाद एक दिन में मौत की संख्या 30 से कम है.

कोरोना की दूसरी लहर खौफनाक रही. संक्रमण दर में ऐसी तेजी आई कि अस्पताल के बेड कम पड़ गए. लोग ऑक्सीजन के लिए मारे-मारे फिरने लगे. इलाज के बिना कई लोगों की जान चली गई. दूसरी लहर अब कमजोर पड़ी है, लेकिन खत्म नहीं हुई है. अब भी सावधानी जरूरी है.

 

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