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भारत में कोरोना टेस्टिंग के आंकड़ों में खामियां, रफ्तार भी हुई धीमी

स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार के अपडेट के अनुसार, अब तक देश में 51 लाख से ज्यादा मरीज ठीक होकर अस्पतालों से अपने घर जा चुके हैं. लेकिन भारत में महामारी नियंत्रित हो रही है या नहीं, ये सवाल टेस्टिंग पर टिका है.

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देश में कोरोना वायरस का कहर (सांकेतिक तस्वीर- पीटीआई)
देश में कोरोना वायरस का कहर (सांकेतिक तस्वीर- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देश में कोरोना वायरस का कहर
  • 51 लाख से ज्यादा मरीज हो चुके हैं ठीक
  • ICMR जारी करता है टेस्टिंग का आंकड़ा

भारत में दैनिक कोरोना केसों की संख्या में पिछले हफ्ते अहम गिरावट दर्ज की गई है. सितंबर के शुरू में करीब 90,000 केस हर दिन दर्ज हो रहे थे, लेकिन अब इसमें कमी देखी जा रही है. सोमवार को देश में कुल 70,589 केस दर्ज हुए. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना वायरस के डरावने हालात के बीच कुछ सकारात्मक आंकड़े साझा किए हैं. केस की संख्या में गिरावट के लिए एक अहम वजह ये भी हो सकती है कि टेस्ट की संख्या में भी गिरावट आई है.

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स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार के अपडेट के अनुसार, अब तक देश में 51 लाख से ज्यादा मरीज ठीक होकर अस्पतालों से अपने घर जा चुके हैं. लेकिन भारत में महामारी नियंत्रित हो रही है या नहीं, ये सवाल टेस्टिंग पर टिका है. भारत में टेस्टिंग के आंकड़ों में कुछ गंभीर खामियां हैं जो असली हालात तक पहुंच को मुश्किल बनाती हैं.

भारत में ​टेस्टिंग का राष्ट्रीय आंकड़ा हर दिन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) जारी करता है. हर दिन के इस अपडेट में पिछले दिन टेस्ट के लिए एकत्र की गई सैंपल संख्या को शामिल किया जाता है. इस तरह हर दिन सूचना दी जाती है कि अब तक कुल कितने टेस्ट किए गए. 

आईसीएमआर ये तो बता रहा है कि रोज कितने टेस्ट किए गए, लेकिन वह ये नहीं शामिल करता कि लिए गए सैंपल में से कितने पॉजिटिव केस मिले. भारत हर दिन धीरे-धीरे टेस्ट संख्या बढ़ा रहा है. हालांकि, पिछले हफ्ते के दौरान कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार गिरकर पिछले दो महीने के निचले स्तर पर आ गई है लेकिन भारत में कोरोना टेस्टिंग की एक गंभीर समस्या है.

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सभी राज्यों की ओर से हर दिन का टेस्टिंग का आंकड़ा जारी होता है लेकिन केंद्र राज्यों के आंकड़े जारी नहीं करता. केंद्र सिर्फ राष्ट्रीय आंकड़ा जारी करता है. इसका अंजाम ये है कि विश्लेषकों को covid19india.org और स्वयंसेवकों के ​डेटाबेस पर निर्भर रहना पड़ता है जो हर दिन राज्यों के बुलेटिन से आंकड़े जुटाते हैं.

पिछले कुछ हफ्तों में डेटाबेस के स्वयंसेवकों, पत्रकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गौर किया है कि ICMR की ओर से जारी आंकड़े और राज्यों के आंकड़ों का मिलान करने पर इसमें अंतर आ रहा है और ये अंतर धीरे धीरे बढ़ रहा है. हर दिन ICMR जो रिपोर्ट पेश करता है उसकी तुलना में राज्यों में औसतन 1 लाख टेस्ट ज्यादा किए जा रहे हैं. अब तक कुल मिलाकर राज्यों ने ICMR की रिपोर्ट की तुलना में करीब 70 लाख ज्यादा टे​स्ट किए हैं और यह खाई धीरे-धीरे चौड़ी हो रही है.

अब ICMR ने राज्यों को अनु​मति दी है कि अगर वे विभिन्न प्रकार की टेस्टिंग कर रहे हैं तो उसे रिपोर्ट करें. हो सकता है कि यह आंकड़ों की विसंगति के चलते किया गया हो. हालांकि, ICMR ने अभी तक इसके बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है. भारत अगर कोरोना से उपजे हालात से निपटना चाहता है तो सबसे पहले उसे अपने टेस्टिंग के आंकड़ों को दुरुस्त करना होगा.

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