कोरोना मौतों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो रिपोर्ट जारी की है, उस पर बड़ा बवाल शुरू हो गया है. भारत सरकार ने तो आपत्ति दर्ज करवा ही दी है, अब ICMR के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने भी इस पर सवाल उठा दिए हैं. उनका कहना है कि WHO ने जो मॉडल इस्तेमाल किया है, उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है.
इस बारे में वे कहते हैं कि जब कोरोना से मौतों का सिलसिला शुरू ही हुआ था, तब किसी को भी नहीं पता था कि असल में कौन सी मौत को कोरोना से जोड़ा जाए. अगर कोई आज पॉजिटिव हो जाए और फिर दो हफ्तों बाद उसकी मौत हो जाए, या कह लीजिए दो या 6 महीने बाद मौत हो, तो क्या इसे भी कोरोना मौत मान लिया जाएगा.
डॉक्टर बलराम ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के पास पहले से ही विस्तृत डेटा मौजूद है. 98 फीसदी के करीब उन लोगों का डेटा भी मौजूद है जिन्हें कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगा दी गई है. ये इसलिए संभव है क्योंकि भारत में हर डेटा सिस्टमैटिकली कलेक्ट किया गया है. वैसे डॉक्टर बलराम के अलावा AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी WHO की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने इस रिपोर्ट को सही मानने से इनकार कर दिया है. उनकी नजरों में जो मॉडल इस्तेमाल किया गया है, उस पर विश्वास करना मुश्किल है. वे बताते हैं कि में जन्म-मृत्यु के आंकड़े दर्ज करने का व्यवस्थित तरीका है जिसमें कोविड के अलावा हर तरह की मौत के आंकड़े दर्ज होते हैं...जबकि इस आंकड़े इस्तेमाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं किया है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि WHO ने जो आंकड़े जमा किये हैं जो विश्वसनीय नहीं हैं...वो कहीं से भी उठा लिये गये हैं...अपुष्ट स्रोतों से, मीडिया रिपोर्ट्स से या किसी और स्रोत से जो अवैज्ञानिक तरीके से जमा किये गये.
भारत सरकार ने भी जो आधिकारिक बयान जारी किया है, उसमें साफ कहा गया है कि WHO द्वारा भारत की आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया और बिना बात किए इन आंकड़ों को जारी कर दिया गया.