कोरोना से हुई मौतों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक नया आंकड़ा जारी कर दिया है. उस आंकड़े के मुताबिक पिछले दो सालों में दुनिया में कोरोना और इलाज नहीं मिलने की वजह से 1.5 करोड़ लोगों की मौत हुई है. भारत को लेकर तो WHO ने कह दिया कि वहां पर कोरोना की वजह से 47 लाख से भी ज्यादा मौतें हो गई. ये भारत के आधिकारिक आंकड़े से 10 गुना ज्यादा माना जा रहा है.
चीन के प्रति नरम WHO?
अब WHO पर ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या उसने चीन के दबाव में ऐसा किया? और क्या इन आंकड़ों के ज़रिए सेलेक्टिव होकर भारत को टारगेट किया जा रहा है ? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चीन ने अपने देश में कोविड के आंकड़ों को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती. लेकिन WHO ने शुरू से लेकर अब तक चीन के आंकड़ों के सामने रेड कारपेट बिछाए रखा.. और उसे नज़रअंदाज़ किया.
वैसे WHO के आंकड़ों पर इसलिए भी विश्वास कम है क्योंकि शुरुआत से ही इस संस्था ने चीन के प्रति नरमी दिखाई है. पहली बार जब नवंबर दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोविड का संक्रमण फैला था तब महीने भर से ज्यादा वक्त तक WHO ने कोविड को लेकर चुप्पी साधे रखी थी. कोविड महामारी दुनिया भर के देशों में फैल गई तो दिसंबर के आखिरी हफ्ते में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को संक्रामक महामारी बताया लेकिन ये भी कहा कि इससे मौतें हो रही हैं या नहीं नहीं कहा जा सकता.
ट्रंप ने भी उठाए थे सवाल
एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोना फैल चुका था, दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन को ये तक पता नहीं था कि कोविड का ये संक्रमण फैला कहां से...मतलब महामारी की जड़ कहां थी. अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर कहा था कि चीन के वुहान लैब से कोरोना का वायरस लीक हुआ और तब कोरोना के वायरस के स्रोत की जांच की बात हुई. काफी देर के बाद जांच कमेटी का ऐलान हुआ था. ये जांच कमेटी वुहान भी गई लेकिन इस कमेटी में चीन के ही तीन वैज्ञानिक थे और जाहिर तौर पर कमेटी की रिपोर्ट में ये पता नहीं चल सका कि कोरोना वायरस का ओरिजिन कहां था.
भारत की साख से ईर्ष्या
ऐसे में सवाल उठता है कि जो विश्व स्वास्थ्य संगठन आज तक कोरोना का स्रोत नहीं पता कर सका...जिस पर चीन के दबाव में काम करने का आरोप लगता रहा....उस विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े क्या चीन के दबाव में तो जारी नहीं किये गये? भारत ने जिस तरह कोविड से लड़ाई लड़ी, उससे दुनिया में भारत की बढ़ती साख को गिराने के लिए कहीं ये चीन के दबाव में लाया गया अवैज्ञानिक आंकड़ा तो नहीं है?
आजतक ब्यूरो