महाराष्ट्र में बेकाबू कोरोना लोगों के जीवन से खेल रहा है. यहां आज चांदवाड के सरकारी अस्पताल से बेहद ही विचलित करने वाली तस्वीर सामने आई है. अस्पताल की सीढ़ियों पर एक मरीज बैठा हुआ था. साथ आए परिजन उसे संभाल रहे थे. ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजार किया जा रहा था. इस दौरान वह जमीन पर गिर गया और उसकी सांसें थम गईं. यह देख परिजनों में चीख पुकार मच गई.
वाडनेर भैरव गांव के रहने वाले 43 वर्षीय अरुण माली को 20 अप्रैल को दोपहर चांदवाड के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल के इंचार्ज डॉ. सुशील शिंदे ने बताया कि अरुण की पत्नी उसे अस्पताल लेकर आई थी. जब वो अस्पताल की मेन बिल्डिंग के पास पहुंचा तो उसका ऑक्सीजन लेवल 35 के नीचे आ गया था उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया जिससे कि आईसीयू वार्ड में उसे भर्ती करने का इंतजाम किया जा सके.
डॉ शिंदे ने आजतक से बातचीत में कहा कि अरुण की हालत पहले ही बहुत खराब थी. एक ऐसे मरीज जिसकी हालत स्थिर थी उसे दूसरे बेड पर शिफ्ट किया जा रहा था, जिससे कि अरुण का तत्काल इलाज किया जा सके. अरुण को वेंटिलेटर की जरूरत थी. जब तक उसके लिए व्यवस्था की जाती, तब तक उसकी मौत हो गई थी. डॉ. शिंदे ने कहा कि ग्रामीण महाराष्ट्र में स्थिति बहुत खराब है. बड़ी वजह ये है कि लोग जल्दी टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की गाइडलाइंस की अहमियत को नहीं समझते. अरुण जैसे मरीज पहले घर पर ही घरेलू इलाज कराते हैं. अनुभवहीन स्वास्थ्यकर्मियों की ओर से उन्हें ट्रीट किए जाने से उनकी हालत बदतर हो जाती है और उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है.
चांदवाड सरकारी अस्पताल के कोविड केयर सेंटर की व्यवस्था देख रहे सरकारी अधिकारियों में से एक डॉ. पंकज ठाकरे ने कहा कि ये 30 बेड वाला अस्पताल है. वहां पहले से ही 40 मरीजों का इलाज चल रहा है. यहां 25 जम्बो ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद हैं. हम इनकी कमी महसूस कर रहे हैं. हर दिन 10 सिलेंडर रीफिलिंग के लिए भेजे जाते हैं. इसमें करीब 12 घंटे का वक्त लगता है.