पश्चिम बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ ही स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमराने लगी हैं. आलम ये है कि अस्पताल के बाहर मरीज दम तोड़ रहे हैं. ताजा मामला सामने आया है हुगली से, जहां एक व्यक्ति एंबुलेंस में चार घंटे तक जिदंगी और मौत से जूझता रहा, लेकिन उसकी सुध लेने वाला वहां कोई नहीं था. अंत में उसकी सांसों की डोर टूट गई. इस लापरवाही को लेकर परिजनों ने हंगामा किया, सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत कराया.
ये मामला हुगली जिले में आरामबाग के महात्मा सुपर स्पेशलिटी कोविड-19 केयर सेंटर का है. एक परिवार को घंटों एंबुलेंस में मरीज को रखकर भर्ती कराने के लिए लगातार फरियाद करने को मजबूर होना पड़ा, लेकिन वहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं था. कोरोना पॉजिटिव मरीज को सांस लेने में समस्या हो रही थी. वह दर्द से तड़प रहा था. परिजन कभी मरीज को देखते, तो कभी अस्पताल स्टाफ की ओर दौड़ते. परिजनों की मानें तो करीब चार घंटे तक इंतजार करने के बाद मरीज ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया.
वहीं घटना के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करना शुरू कर दिया. सूचना मिलते ही इलाका पुलिस मौके पर पहुंच गई. किसी तरह से मरीज के परिजनों को समझा-बुझाकर मामला शांत किया गया. पुलिस ने बताया कि मृतक मरीज हुगली जिले के खानाकुल विधानसभा क्षेत्र के जयरामपुर का रहने वाला था.
वहीं घटना की जानकारी देते हुए मृतक की बेटी ने बताया कि मैंने रोते बिलखते हुए बार-बार अस्पताल प्रबंधन के हर कर्मचारी से अपने पिता को कम से कम एंबुलेंस से स्ट्रेचर द्वारा उतारकर अस्पताल में इलाज किए जाने और भर्ती ले जाने की गुहार लगाई, लेकिन मेरी हर फरियाद अनसुनी कर दी गई. अस्पताल के लोगों ने मेरे पिता को जीते जी मार डाला. 4 घंटे तक मेरे पिता एंबुलेंस में सांस की तकलीफ से रोते कराहते रहे, लेकिन किसी ने कोई फरियाद नहीं सुनी.
(Input-BHOLA NATH SAHA)