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भारत में डबल डोज ले चुके लोगों के लिए मास्क जरूरी, किसी स्ट्रेन को देश का नाम देना ठीक नहीं- एक्सपर्ट

भारत में अभी कोरोना की दूसरी लहर का असर चल रहा है, लेकिन तीसरी लहर को लेकर चिंताएं बढ़ना शुरू हो गई हैं. ग्रामीण इलाकों और बच्चों में कोरोना को लेकर एक्सपर्ट्स लगातार चेतावनी दे रहे हैैं.

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मास्क को लेकर एक्सपर्ट्स की सलाह (फाइल फोटो)
मास्क को लेकर एक्सपर्ट्स की सलाह (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना संकट के बीच एक्सपर्ट्स की सलाह
  • दोनों डोज़ ले चुके लोग भी पहनें मास्क: डॉक्टर

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच ग्रामीण इलाकों में असर दिखना शुरू हो गया है. साथ ही वैक्सीनेशन की रणनीति को लेकर भी सवाल हो रहे हैं. इस पूरे मसले पर ICMR  के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर ने आजतक से खास बातचीत की.

वैक्सीनेशन की रफ्तार को लेकर उन्होंने कहा कि कोरोना के मामलों को कंट्रोल करने के लिए शहरों की आबादी के आधार पर वैक्सीनेशन नीति अपनाना सही रहेगा, इससे सफलता मिल सकती है. 

ग्रामीण इलाकों में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच डॉ. गंगाखेडकर बोले कि ग्रामीण इलाकों में मामले आना चिंता का विषय हैं. उन्होंने कहा कि अगर भारत में लोग वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके हैं तो उनके लिए भी मास्क जरूरी होना चाहिए, क्योंकि भारत में सभी लोगों को टीका लगने में वक्त लगेगा.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस सिंगापुर स्ट्रेन का जिक्र किया, उसपर विवाद हो गया. इस मसले पर डॉ. गंगाखेडकर ने कहा कि किसी भी स्ट्रेन को इस तरह नाम देना सही नहीं है, अभी कोरोना के अलग-अलग रूप आ रहे हैं ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता है कि किसी एक स्ट्रेन की वजह से मामले बढ़ रहे हैं.  

दूसरी लहर का कहर जारी, बच्चों को लेकर चिंता बढ़ी
आपको बता दें कि भारत इस वक्त कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है. बीते कुछ दिनों में भले ही नए मामलों की संख्या कुछ हदतक कम हुई हो, लेकिन कोरोना के कारण हो रही मौतें लगातार बड़ी संख्या में जारी हैं. अभी भी देश में 32 लाख से अधिक एक्टिव केस मौजूद हैं.

कोरोना की दूसरी लहर के बीच तीसरी लहर को लेकर चिंता बढ़ रही है, जिसमें बच्चों के लिए अधिक खतरा बताया जा रहा है. अभी भी देश के कुछ हिस्सों में बच्चों में कोरोना के लक्षण मिलने से चिंता बढ़ गई है. कई राज्य सरकारों ने अभी से ही बच्चों के लिए अलग से सुविधाएं तैयार करनी शुरू कर दिया है. 

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उधर, महाराष्ट्र सरकार कह चुकी है कि वो तीसरी वेव के लिए तैयारी शुरू कर चुकी है. एक्सपर्ट्स जुलाई से सितंबर के बीच तीसरी वेव के आने की आशंका जता चुके हैं. ICMR के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि अगर हम ये मान रहे हैं कि तीसरी वेव से खतरा बच्चों को ज्यादा है तो हमें बच्चों के लिए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्टर तैयार करना होगा. बच्चों के लिए इंटेसिंव आईसीयू कम होते हैं.तीसरी वेव आए या ना आए, बच्चों के लिए भारी हो या ना हो पर हम जो निवेश बच्चो की हेल्थ के लिए करेंगे वो आगे काम आएगा.लोगों में सिर्फ डर पैदा होना अच्छा नहीं है पर बच्चों की केयर के लिए इन्वेस्ट करना चाहिए.

गंगाखेडकर कहते हैं कि ये अच्छी बात है कि केस कम होते दिख रहे हैं पर उन्होंने चेताया कि ये हमें ये देखना होगा कि क्या ये ट्रेंड रूरल एरिया में भी दिख रहा है क्योंकि वहां टेस्टिंग कम होती है, मेडिकल इंफ्रास्ट्र्क्चर अच्छा नहीं है.दूसरी वेव ग्रामीण इलाकों में शहरी इलाकों की तरह पहुंची है. इसलिए वहां का हाल जानने की जरूरत है. ओडिशा, आंध्र प्रदेश और वेस्ट बंगाल में मामलों में कमी नहीं दिख रही.यहां जनसंख्या घनत्व ज्यादा है. उसके ऊपर नजर रखना जरूरी है इसलिए जल्दबाजी में कहना कि दूसरी वेव काबू में आ गई, सही नहीं है.

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कोरोना वेरिएंट को किसी देश का नाम देना सही नहीं- गंगाखेडकर
ICMR के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि ये सबूत किसी के पास नहीं है कि क्या ज्यादा केस किसी एक वेरिएंट की वजह से आ रहे हैं. अगर वेरिएंट की वजह से वेव बढ़ती है तो उसी रफ्तार से घटती भी है. गंगाखेडकर के मुताबिक किसी देश के नाम से वेरिंटट को नाम देना सही नहीं है क्योंकि वेरिएंट एक देश में म्यूटेट होता है और फिर जिस दूसरे देश में फैलता है तो वहां के हिसाब से भी म्यूटेट होता है. इसलिए लीनिएज के हिसाब से नाम इनको दिया जाना चाहिए.

 

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