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45+ उम्र वालों के लिए वैक्सीनेशन क्यों जरूरी? कोरोना से हुई 90% मौतें इसी आयुवर्ग से

देश में गुरुवार यानी 1 अप्रैल से वैक्सीनेशन का तीसरा फेज शुरू हुआ है जिसमें 45 साल से अधिक उम्र के हर किसी को वैक्सीन लगाई जा रही है. अधिक प्रभावित जिलों में दो हफ्ते में वैक्सीनेशन पूरा करने का सरकार का लक्ष्य है. अब सवाल उठता है कि 45 साल की उम्र सीमा पर क्यों जोर दिया जा रहा है.

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कोरोना वैक्सीनेशन के नए फेज का आगाज (फोटो: PTI)
कोरोना वैक्सीनेशन के नए फेज का आगाज (फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देश में वैक्सीनेशन के तीसरे फेज की शुरुआत
  • अब 45 साल से अधिक उम्र वालों को लग रहा टीका
  • कोरोना से अबतक इसी आयुवर्ग में सबसे अधिक मौत हुईं

देश में कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचा रखी है. न केस थम रहे हैं न मौतें, बल्कि हर एक दिन के साथ कोरोना की लहर तेज होती हुई दिख रही है. खासकर मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में कहर बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में कोरोना से लड़ने के लिए एक्सपर्ट वैक्सीनेशन तेज करने की मांग कर रहे हैं. देश में गुरुवार यानी 1 अप्रैल से वैक्सीनेशन का तीसरा फेज शुरू हुआ है जिसमें 45 साल से अधिक उम्र के हर किसी को वैक्सीन लगाई जा रही है. 

अधिक प्रभावित जिलों में दो हफ्ते में वैक्सीनेशन पूरा करने का सरकार का लक्ष्य है. अब सवाल उठता है कि 45 साल की उम्र सीमा पर क्यों जोर दिया जा रहा है. कोरोना महामारी के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में अबतक इस वायरस से हुई 90 फीसदी से अधिक मौतें 45 साल से अधिक उम्र के लोगों की हुई है. इसलिए भी एक्सपर्ट जोर दे रहे हैं कि सबको वैक्सीन लगवानी चाहिए.

क्या है केंद्र सरकार की तैयारी?
दरअसल, लंबे वक्त से यही मांग हो रही थी कि वैक्सीनेशन के दायरे को बढ़ा देना चाहिए ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोग टीका लगवा सकें. क्योंकि अब सभी दफ्तर, बाजार और अन्य चीज़ें खुल चुकी हैं ऐसे में 45 से 60 साल आयु वर्ग का तबका बड़ी संख्या में वर्किंग ग्रुप से जुड़ा है. जिसका बाहर आना-जाना जारी है, ऐसे में जरूरी है कि इन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए. 

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा अब लक्ष्य रखा गया है कि राज्यों को वैक्सीन का वेस्टेज 1 फीसदी तक लाना होगा. अभी वैक्सीन वेस्टेज का राष्ट्रीय औसत 6 फीसदी है. ऐसे में अब वैक्सीनेशन के दायरे को बढ़ाया जा रहा है. 

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अभी देश में सिर्फ 16.53 फीसदी वैक्सीन ही प्राइवेट सेंटर्स लगा पा रहे हैं. ऐसे में सरकार का कहना है कि अगर वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ानी है तो राज्य सरकारों को प्राइवेट सेक्टर को और भी खुला हाथ देना होगा. 

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वैक्सीनेशन के लिए लग रही है कतार (PTI)

 

दिल्ली में युवा बीमार, लेकिन बुजुर्गों को भी खतरा!
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना का संकट बढ़ रहा है. दिल्ली में जो नए मामले सामने आ रहे हैं, उनमें अधिकतर युवा शामिल हैं. एम्स के डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया के मुताबिक, अब तक जो अधिकांश रोगी आ रहे हैं, वे अपेक्षाकृत मामूली लक्षण वाले हैं. लेकिन कम आयु वर्ग के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है. लेकिन यह आसानी से बुजुर्गों तक फैल जाएगा, जैसा कि महाराष्ट्र में देखा गया है. महाराष्‍ट्र में इसकी शुरुआत सैन्य मामलों से हुई थी.  

पूरी खबर पढ़ें: द‍िल्‍ली में सबसे ज्‍यादा यूथ कोरोना पॉजिट‍िव, AIIMS चीफ रणदीप गुलेरिया ने बताया

देश में वैक्सीनेशन की क्या चल रही है रफ्तार?
आपको बता दें कि भारत में 16 जनवरी को कोरोना वैक्सीनेशन का प्रारंभ हुआ था. 75 दिनों के सफर में करीब 6.5 करोड़ कोरोना डोज दिए जा चुके हैं. अभी तक 82 लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना का टीका लग चुका है, जबकि 91 लाख से अधिक फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लग पाया है. 

केंद्र सरकार ने एक मार्च से 60 साल से अधिक लोगों को वैक्सीन लगवाने का मौका दिया. अभी तक देश में 3 करोड़ से अधिक 60 साल से अधिक लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज लगवाई है. जो अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. 

देश में अभी एक दिन में औसतन 20 से 25 लाख वैक्सीन की डोज दी जा रही है. सरकार की कोशिश है कि इस दायरे को बढ़ाया जाए. जिन जिलों में कोरोना बेकाबू हो चला है, वहां दो हफ्ते में ही सभी लोगों को टीका लगा दिया जाए. 

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फिर से डराने लगे हैं कोरोना के आंकड़े
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस की रफ्तार फिर से बढ़ गई है. गुरुवार को ही देश में कोरोना के 72 हजार से नए मामले सामने आए. जबकि 459 मौतें दर्ज की गई हैं. महाराष्ट्र में बीते दिन 39 हजार से अधिक कोरोना के केस दर्ज किए गए हैं.

अगर देश में कोरोना के कुल केस की बात करें तो ये संख्या 1.22 करोड़ तक पहुंच गई है. जबकि 1.62 लाख लोगों की अबतक देश में कोरोना महामारी से मौत हुई है. भारत में इस वक्त कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 5.81 लाख है. 

 

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