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धनवान देशों ने कर डाली 2 अरब कोरोना वैक्सीन की बुकिंग, मदद को मुंह ताक रहे गरीब मुल्क

ब्रिटेन की पत्रिका नेचर जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने 15 अगस्त तक कोरोना की वैक्सीन बना रही 6 कंपनियों ने 800 मिलियन डोज खरीद लिए थे. इसके अलावा इसने 1 अरब वैक्सीन खरीदने का विकल्प खुला रखा है. अगर ब्रिटेन की बात करें तो इसने 340 मिलियन कोरोना की डोज खरीद रखी हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो-पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बनने से पहले बिक गए कोरोना वैक्सीन के 2 अरब खुराक
  • अमीर देशों ने ताबड़तोड़ खरीदे कोरोना वैक्सीन
  • वैक्सीन राष्ट्रवाद को रोकने की जरूरत-WHO

कोरोना वैक्सीन को लेकर दर्जनों दावों के बावजूद एक भी मुकम्मल वैक्सीन बाजार में अबतक नहीं आ पाई है. लेकिन दुनिया के अमीर देशों ने इस वैक्सीन के बनने से पहले ही कोरोना वैक्सीन की 2 अरब डोज खरीद ली हैं. अगर कोरोना की वैक्सीन नजदीकी भविष्य में बन भी गई तो इस असमानता से इसके गरीब राष्ट्रों में पहुंचने की उम्मीद धूमिल नजर आती है. 

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ब्रिटेन की पत्रिका नेचर जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने 15 अगस्त तक कोरोना की वैक्सीन बना रही 6 कंपनियों ने 800 मिलियन डोज खरीद ली थी. इसके अलावा इसने 1 अरब वैक्सीन खरीदने का विकल्प खुला रखा है. अगर ब्रिटेन की बात करें तो इसने 340 मिलियन कोरोना की डोज खरीद रखी है. आबादी के हिसाब से ब्रिटेन ने हर एक नागरिक के लिए 5 वैक्सीन खरीद रखी है. यूरोपियन यूनियन के देश सामूहिक रूप से कोरोना की वैक्सीन खरीद रहे हैं. जापान ने भी पहले ही कोरोना वैक्सीन का ऑर्डर कर रखा है. 

नेचर जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्सफोर्ड और आस्ट्रा जेनिका का कोरोना वैक्सीन सबसे पहले आने की संभावना है. 

आकलन के मुताबिक कंपनी अगले साल के अंत तक 2.94 अरब खुराक तैयार करेगी. इस उत्पादन में यूरोप, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान ने पहले ही अपनी बुकिंग करा ली है. यहां निम्न और मध्य आय वर्ग के देशों के लिए बहुत कम हिस्सा बच गया है. 

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पढ़ें- कहां तक पहुंचा कोरोना की वैक्सीन का काम? ICMR ने दी जानकारी

नोवावैक्स नाम की कंपनी भी अगले साल तक कोरोना के 1.35 अरब डोज बनाने पर विचार कर रही है. इसमें से अमेरिका और ब्रिटेन ने 16 करोड़ टीके पहले ही बुक कर लिए हैं. 

फाइजर के टीके में अमेरिका, जापान और ब्रिटेन ने 23 करोड़ कोरोना वैक्सीन की बुकिंग कर ली है. मॉडर्ना के टीके में अमेरिका ने 10.45 करोड़, जॉनसन एंड जॉनसन के टीके में यूरोप, अमेरिका एवं ब्रिटेन ने 33 करोड़, स्नोफी के टीके में यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका ने 46 करोड़ की बुकिंग कर ली है. 

पढ़ें- रूस की वैक्सीन पर क्यों माना भारत? स्वास्थ्य मंत्रालय ने कही ये बात

धनवान देशों की ताबड़तोड़ खरीदारी से गरीब मुल्कों के सामने दोहरा संकट है. एक तो उनके पास कोरोना वैक्सीन खरीदने के लिए पैसे नहीं है, दूसरा इन देशों की स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमराई है. इसलिए इनके सामने चुनौती ज्यादा है. 

वैक्सीन पर कब्जे की इस होड़ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जताई है. WHO चीफ ट्रेडरोस अधोनोम ने कहा है कि हमें वैक्सीन राष्ट्रवाद को रोकने की जरूरत है. 

गरीब मुल्कों को कोरोना की वैक्सीन मुहैया कराने के लिए जिनेवा की एक संस्था GAVI काम कर रही है. इस संस्था को WHO और CEPI का सहयोग मिल रहा है. इसके लिए COVAX फंड बनाया गया है. ये संस्था 2 करोड़ कोरोना वैक्सीन डोज खरीद रही है. इसमें से एक अरब वैक्सीन 92 खरीद देशों को दी जाएगी, इसके लिए इन्हें बेहद कम कम कीमत चुकानी पड़ेगी. 

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