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Corona Vaccine Booster Dose: भारत में लोगों को क्यों नहीं लगाई जा रही कॉकटेल बूस्टर डोज? एक्सपर्ट से जानिए

Corona Vaccine Booster Dose: देश में आज से कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाई जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, तीसरी डोज उसी वैक्सीन की लगाई जाएगी, जिसकी पहली दो डोज लगी होगी. यानी, पहले कोविशील्ड की दो डोज लगी है तो तीसरी भी कोविशील्ड की ही लगेगी.

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बुजुर्गों, हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगेगी तीसरी डोज. (फाइल फोटो-PTI)
बुजुर्गों, हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगेगी तीसरी डोज. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दूसरी और तीसरी डोज में 9 महीने का अंतर जरूरी
  • पहली दो डोज जिस वैक्सीन की, वही तीसरी डोज भी

Corona Vaccine Booster Dose: देश में आज से कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज या प्रिकॉशन डोज लगाई जा रही है. शुरुआत में तीसरी डोज फ्रंटलाइन वर्कर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स के अलावा 60 साल से ऊपर के उन बुजुर्गों को भी लगाई जा रही है जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. 

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देश में करीब 1 करोड़ हेल्थ वर्कर्स और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वकर्स हैं इसके अलावा 60 साल से ऊपर के लोगों की संख्या लगभग 13 करोड़ है इस हिसाब से देश में 16 करोड़ बूस्टर डोज की जरूरत होने वाली है.

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक, तीसरी डोज में वही वैक्सीन दी जाएगी, जिसकी पहली दो डोज लगी होगी. यानी, अगर पहली दो डोज कोविशील्ड (Covishield) की लगी है तो तीसरी डोज भी कोविशील्ड की ही लगेगी. इसी तरह अगर पहली दो डोज कोवैक्सीन (Covaxin) की लगी थी तो तीसरी डोज भी कोवैक्सीन की ही दी जाएगी.

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कॉकटेल क्यों नहीं की गई तीसरी डोज?

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- दुनियाभर के कई एक्सपर्ट का मानना है कि तीसरी डोज अलग वैक्सीन की होनी चाहिए. जैसे अगर पहली दो डोज कोवैक्सीन की लगी है तो तीसरी डोज कोविशील्ड की लगनी चाहिए. इसी तरह अगर पहली दो डोज कोविशील्ड की लगी है तो तीसरी डोज कोवैक्सीन की लगे. लेकिन सरकार की ओर से अभी मिक्स वैक्सीन की बात नहीं कही गई है.
 

- महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय राय ने बताया कि बूस्टर डोज का मतलब है कि उसी इम्युनिटी को बूस्ट करना. इसलिए उसी वैक्सीन की बूस्टर डोज देनी चाहिए. क्योंकि हमें सारी वैक्सीन का लॉन्ग टर्म इफेक्ट भी देखना है. अच्छे इफेक्ट भी. बुरे इफेक्ट भी. अगर हम मिक्स करते रहेंगे तो किसी की कोई जवाबदेही नहीं रहेगी. 

- डॉ. राय का कहना है कि जिन्हें जो वैक्सीन लगी है, वही बूस्टर डोज में भी देना चाहिए. क्योंकि अभी तक तो वैक्सीन की सेफ्टी और एफिकेसी के सबूत हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म हमें इस बारे में नहीं पता. इसलिए उनको वही देना चाहिए. क्रॉस करने की जरूरत नहीं है.

बूस्टर डोज की जरूरत क्यों?

कोरोना के खिलाफ वैक्सीन से बनी इम्युनिटी कुछ महीनों बाद कम होने लगती है. ऐसे में वैक्सीन की बूस्टर डोज जरूरी है. इसके अलावा कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट ने इसकी जरूरत और बढ़ा दी है. क्योंकि नया वैरिएंट वैक्सीन ले चुके लोगों को भी शिकार बना रहा है और इससे सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को है. इसलिए तीसरी डोज लगाई जा रही है.

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  • क्या कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज सबको लगाई जानी चाहिए?

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