कोरोना की दूसरी लहर के बीच जब भारत में वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी होने लगी है, तब टीका लगने को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. भारत सरकार वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज़ की मिक्सिंग पर टेस्टिंग की बात कह रही है, तो वहीं कोविशील्ड की सिर्फ एक ही डोज़ क्या कारगर साबित होगी, इसपर भी मंथन होने लगा है.
इन सभी अटकलों ने अब एक नई बहस छेड़ दी है, तो वहीं एक्सपर्ट्स ने अब कई अहम सवाल भी दाग दिए हैं. क्या है पूरा विवाद समझिए...
भारत सरकार ने दिए नए टेस्टिंग के संकेत...
हाल ही में उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में 20 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज़ अलग कंपनी की और दूसरी डोज़ अन्य कंपनी की दे दी थी. इस बात को लेकर काफी बवाल मचा, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि घबराने की बात नहीं है. लेकिन अब कोविड वैक्सीनेशन ग्रुप से प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कह दिया है कि भारत जल्द ही ये टेस्ट करेगा कि वैक्सीन को मिक्स करने से क्या असर होता है.
इसके अलावा संकेत इस बात के भी हैं कि कोविशील्ड की सिंगल डोज़ लोगों पर कितनी कारगर साबित होती है, इसपर भी अध्ययन किया जाए. ये सब हलचल तब हो रही है, जब देश में वैक्सीन की कमी है. कई राज्यों के पास स्टॉक ना होने की वजह से वैक्सीनेशन को रोकना पड़ रहा है.
वैक्सीन की सिंगल डोज़ आइडिया को एक्सपर्ट ने नकारा
कोविशील्ड की सिंगल डोज़ के आइडिया को एक्सपर्ट ने ही सिरे से खारिज कर दिया है और इसके पीछे कई तरह के तर्क गिनाए गए हैं. कर्नाटक सरकार की कोविड टास्क फोर्स के एडवाइज़र प्रोफेसर गिरिधर बाबू के मुताबिक, ऐसा कोई डाटा नहीं है कि जो एक ही डोज़ को कारगर साबित बताए, ऐसे में ये ठीक नहीं होगा.
डॉ. बाबू ने इसके पीछे तर्क गिनाया कि अभी तक के सबूत बताते हैं कि वैक्सीन की दोनों डोज़ ही किसी व्यक्ति को मौत के मुंह से बचाती हैं, ऐसा दावा सिंगल डोज़ के साथ नहीं किया गया है. ऐसे में एक बड़े तबके के लिए डबल डोज़ लेना जरूरी है, ताकि किसी की जान बचाई जा सके.
स्कॉटलैंड में कार्यरत डॉ. अविरल वत्स के मुताबिक, सिंगल डोज़ को लेकर दावा वैज्ञानिक रूप से ही गलत है. सिंगल डोज़ से सिर्फ कुछ हदतक प्रोटेक्शन मिलती है, लेकिन दूसरी डोज मिलने के बाद ही किसी व्यक्ति को अच्छी खासी सुरक्षा मिलती है. इन्हीं की तरह टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉ. सीएस प्रमेश ने भी साफ तौर पर कहा कि अभी तक ऐसा कोई डाटा नहीं आया है जो कोविशील्ड की सिंगल डोज़ को इतना कारगर साबित करे कि दूसरी डोज़ की जरूरत ना पड़े.