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पूरी आबादी को नहीं दी जाएगी कोरोना वैक्सीन, ट्रांसमिशन चेन कैसे तोड़ेगी सरकार?

स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान से ये स्पष्ट हो गया है कि केंद्र सरकार टीकाकरण को लेकर अभी टारगेटेड एप्रोच अपनाएगी. यानी कि कोरोना की वैक्सीन उन्हीं लोगों को दी जाएगी जिनके लिए संक्रमण के खतरे ज्यादा हैं. ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने ऐसे लोगों को 'क्रिटिकल मास' कहकर संबोधित किया है. 

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पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में पीएम मोदी (फोटो-पीटीआई)
पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में पीएम मोदी (फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पूरी आबादी को नहीं दी जाएगी कोरोना वैक्सीन
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकाकरण को लेकर दी जानकारी
  • क्रिटिकल मास को टीका देकर संक्रमण चेन तोड़ने की चुनौती

भारत में कोरोना टीकाकरण का अभियान अगले साल शुरू हो सकता है. इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि देश की पूरी आबादी को कोरोना का टीका नहीं लगाया जाएगा. 

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स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का ये बयान सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी की ओर इशारा है. हालांकि इससे पहले लोगों को यही लग रहा था कि सरकार के टीकाकरण अभियान में पूरी आबादी को शामिल किया जाएगा. 

मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने जोर देकर कहा कि पूरे देश के टीकाकरण की बात सरकार ने कभी नहीं की है.

स्वास्थ्य सचिव के बयान को और स्पष्ट करते हुए ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि सरकार का उद्देश्य वायरस की ट्रांसमिशन श्रृंखला को तोड़ना है. अगर हम आबादी के उस हिस्से (Critical mass) जिसके कि कोरोना के चपेट में आने की ज्यादा आशंका है, को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में कामयाब रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत न पड़े.

स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान से ये स्पष्ट हो गया है कि केंद्र सरकार टीकाकरण को लेकर अभी टारगेटेड एप्रोच अपनाएगी. यानी कि कोरोना की वैक्सीन उन्हीं लोगों को दी जाएगी जिनके लिए संक्रमण के खतरे ज्यादा हैं. ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने ऐसे लोगों को 'क्रिटिकल मास' कहकर संबोधित किया है. 

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अब सरकार के सामने चुनौती है कि ऐसे लोगों की पहचान कैसे की जाए जो कोरोना के संभावित वाहक साबित हो सकते हैं. सरकार को ऐसे लोगों की पहचान करनी होगी, उन्हें विश्वास में लेना होगा और उनका वैक्सीनेशन करना होगा.

कौन है 'क्रिटिकल मास'

डॉ बलराम भार्गव के बयान बाद सवाल ये पैदा होता है कि 'क्रिटिकल मास' की श्रेणी में आबादी का कौन सा हिस्सा आता है. अगर मेडिकल साइंस की भाषा में कहें तो एक निश्चित परिणाम पाने के लिए किसी भी चीज की निश्चित संख्या या मात्रा क्रिटिकल मास कहलाती है. 

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बता दें कि 2021 के शुरुआती महीनों में भारत कोरोना का टीकाकरण शुरू कर सकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ऐसी उम्मीद जताई है. उन्होंने भरोसा जताया है कि अगस्त-सितंबर तक हम 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की स्थिति में होंगे.

जुलाई-अगस्त तक उपलब्ध होंगी 30 करोड़ वैक्सीन

वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने भी सरकार के इस बयान की पुष्टि की है. उन्होंने कहा है कि भारत सरकार ने जुलाई 2021 तक उनसे 100 मिलियन वैक्सीन डोज की मांग की है. जब जुलाई-अगस्त  2021 तक केंद्र सरकार ने 300 मिलियन वैक्सीन डोज जनता तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

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यानी अगर सीरम का थर्ड फेज का ट्रायल सफल रहा तो जुलाई अगस्त तक भारत सरकार के पास तीस करोड़ वैक्सीन डोज हो सकती हैं. 

फ्रंटलाइन वर्कर्स पहली प्राथमिकता

भारत में अगर इतनी बड़ी संख्या में वैक्सीन उपलब्ध होती है तो सरकार की प्राथमिकता फ्रंटलाइन वर्करों  को कोरोना वैक्सीन लगाने की हो सकती है. हालांकि इस पर सरकार अबतक कोई नीति नहीं आई है. 

हालांकि स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि निजी और सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य विभागों के फ्रंटलाइन वर्कर्स को पहले वैक्सीन दी जाएगी.

लेकिन इसमें भी सरकार के सामने चुनौती है. मसलन पहले वैक्सीन सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों को दी जाएगी, क्या निजी क्षेत्र के डॉक्टरों का नंबर बाद में आएगा. भारत में संविदा पर बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी काम कर रहे हैं, उनका नंबर कब आएगा?

अगर निजी क्षेत्र के डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी खुद खरीद कर वैक्सीन लगाना चाहेंगे तो क्या होगा? ऐसे कई सारे सवाल अभी तक अनुत्तरित हैं. 

इसके अलावा क्या जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं उन्हें वैक्सीन लगाया जाएगा? या फिर जिनके शरीर में एंटीबॉडीज डेवलप हो गया है, उन्हें कोरोना वैक्सीन दी जाएगी? 

ICMR के डीजी डॉ बलराम भार्गव ने मंगलवार को कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्लिनिक्ल ट्रायल के दौरान कहा है कि सभी को वैक्सीन दिए जाने की जरूरत है बिना ये जाने कि उसके शरीर में एंटीबाडीज डेवलप किया है या नहीं. उन्होंने कहा कि अगर किसी के शरीर में पहले से एंटीबॉडीज है और उसे वैक्सीन दिया जाता है तो उसके शरीर पर कोई गलत असर नहीं होता है. हालांकि इस पर अभी भी चर्चा जारी है.   

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