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नए-नए कोरोना वैरिएंट से लड़ने के लिए मिक्स वैक्सीन का फॉर्मूला, जानें कैसे अलग-अलग देशों में जारी है जंग

भारत में भी इस मुद्दे पर लंबे वक्त से बहस जारी है. भारत में अभी हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के मिक्सर से बेहतर प्रोटेक्शन मिल सकती है. भारत में इसकी स्टडी ICMR द्वारा की गई थी. 

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कोरोना को मात देने के लिए बदल रही है रणनीति (फोटो: PTI)
कोरोना को मात देने के लिए बदल रही है रणनीति (फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना को मात देने के लिए नई रणनीति पर काम
  • वैक्सीन मिक्स करने की ओर बढ़ रहे कई देश

कोरोना वायरस (Coronavirus) को मात देने के लिए भारत (India) समेत दुनिया के अलग-अलग देशों में वैक्सीनेशन (Vaccination) का काम चल रहा है. कोरोना के अलग-अलग म्यूटेंट को मात देने के लिए अब दुनिया के कई देशों में वैक्सीन को मिक्स करने का काम चल रहा है. 

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भले ही इसका विरोध किया जा रहा है, लेकिन कई देश इस ओर अपना कदम बढ़ा चुके हैं. 

भारत में भी इस मुद्दे पर लंबे वक्त से बहस जारी है. भारत में अभी हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के मिक्सर से बेहतर प्रोटेक्शन मिल सकती है. भारत में इसकी स्टडी ICMR द्वारा की गई थी. पूरी रिपोर्ट पढ़ें.. पहली डोज Covishield, दूसरी डोज Covaxin की, क्या कोरोना पर असरदार है? ICMR ने क्या कहा

दुनिया के कौन-से देश वैक्सीन को मिक्स करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं, इनपर नज़र डालिए...

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से साफ कहा गया है कि वैक्सीन को मिक्स करना अभी खतरनाक हो सकता है. ऐसा कोई डाटा नहीं आया है, जो ये साबित करे कि वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज़ अलग-अलग लिए जाने से फायदा होता है. हालांकि, WHO ने ये भी साफ किया कि वह अंतिम फैसला पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी पर छोड़ते हैं. 

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रूस: रशिया डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड की ओर से खुद को वैक्सीन कॉकटेल में अव्वल बताया गया है. रूस द्वारा स्पुतनिक-वी और एस्ट्राजेनेका की डोज़ का कॉकटेल किया गया, जिसका कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं दिखा है. इस महीने के अंत में अंतिम नतीजे जारी होंगे. 

डेनमार्क: यहां किए गए ट्रायल में सामने आया है कि एस्ट्राजेनेका की पहली डोज़ देने के बाद अगर दूसरी डोज़ फाइज़र या मॉडर्ना की वैक्सीन की दी जाती है, तो कोरोना से अच्छा प्रोटेक्शन मिलता है. 

जर्मनी: यहां पर सितंबर से mRNA वैक्सीन का बूस्टर शॉट दिया जाना है. जिन लोगों का वैक्सीन लेने के बाद भी इम्युन सिस्टम कमज़ोर है, उन्हें ये शॉट दिया जाना है. ये शॉट कोई भी ले सकता है, चाहे उन्होंने पहले कोई भी वैक्सीन लगवाई हो. 

साउथ कोरिया: यहां की गई एक स्टडी में पाया गया है कि अगर पहली डोज़ एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दी जाए और दूसरी फाइज़र की दी जाए, तो एस्ट्राजेनेका की दोनों डोज़ से 6 गुना बेहतर प्रोटेक्शन मिलता है. 

थाईलैंड: यहां पर चीनी वैक्सीन सीनोवैक की पहली डोज़ दी जाएगी और दूसरी डोज़ एस्ट्राजेनेका की दी जाएगी. दावा है कि इससे प्रोटेक्शन बेहतर हुआ है. 

कनाडा: यहां की एडवाइज़री कमेटी ने वैक्सीन को मिक्स करने का समर्थन किया है. यहां दूसरी डोज़ mRNA वैक्सीन की दी जा रही है, जबकि पहली डोज़ कोई भी हो सकती है.  

स्पेन: यहां पर पहली डोज़ एस्ट्राजेनेका की दी गई है और अब लोगों से दूसरी डोज़ mRNA वैक्सीन की लेने की सलाह दी जा रही है. लोगों से कहा गया है कि दूसरी डोज़ लेना जरूरी है, फिर चाहे किसी भी वैक्सीन की हो.

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दुनिया ने बदली है अपनी रणनीति...

अलग-अलग देशों से इतर अगर अमेरिका और यूरोप के वैक्सीन रेगुलेटर्स की बात करें तो अभी तक वैक्सीन के कॉकटेल पर कोई हामी नहीं भरी है. लेकिन अलग-अलग देशों में जो स्थानीय रेगुलेटर्स हैं, उन्होंने इसके पक्ष में अपनी बातें कही हैं. 

दुनिया के कई देशों में अब जब कोरोना के डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट के कारण कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, तब देश अलग-अलग रणनीति पर काम करते हुए दिख रहे हैं. कई देश यही कारण है कि वैक्सीन को मिक्स करने की ओर कदम बढ़ा चुके हैं, जिसमें अभी तक अच्छे नतीजे दिख रहे हैं. 

 

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