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दिल्ली में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों पर सच्चा कौन, केजरीवाल सरकार या MCD?

दिल्ली में कोरोना की वजह से होने वाली मौतों को लेकर ये कोई पहला विवाद नहीं है. पहले भी कई अस्पतालों ने ये दावा किया था कि जो मौत के आंकड़े उनकी तरफ से भेजे जाते हैं, वो दिल्ली सरकार अपनी रिपोर्ट में शामिल नहीं करती है. दिल्ली में डेथ कमेटी गठित करने के बाद भी आंकड़ों में बड़ा अंतर दिख रहा है.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)

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  • साउथ MCD का 1080 शवों के अंतिम संस्कार का दावा
  • दिल्ली सरकार का दावा, कोरोना से अब तक 1085 मौतें
  • जांच के लिए दिल्ली सरकार ने बनाई डेथ ऑडिट कमेटी

दिल्ली में कोरोना वायरस की वजह से होने वाली मौतों के 2 आंकड़े सामने आ रहे हैं. एक आंकड़ा एमसीडी की ओर से आ रहा है, तो दूसरा दिल्ली सरकार की ओर से. एमसीडी का आंकड़ा दिल्ली सरकार के आंकड़े से लगभग दोगुना है. इसलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या दिल्ली सरकार जान बूझकर आंकड़े छुपा रही है या फिर बीजेपी के शासन वाली एमसीडी जान बूझकर मौत के आंकड़ों को बढ़ाने का खेल कर रही है.

सवाल जायज है क्योंकि एक ही राज्य में, एक ही बीमारी से मरने वालों की संख्या 2 कैसे हो सकती है और वो भी दोनों आंकड़ों का अंतर आपस में कहीं भी तालमेल नहीं खाता हो.

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एमसीडी का दावा, अब तक 2098 मरें

दिल्ली नगर निगम का दावा ये है कि दिल्ली में गुरुवार तक 2098 कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. नगर निगम के आंकड़ों की मानें तो सबसे ज्यादा मौतें साउथ एमसीडी में दर्ज की गई हैं, जहां 1080 कोरोना वायरस से संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है.

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साथ ही, नॉर्थ एमसीडी में 976 और ईस्ट एमसीडी में 42 कोरोना से होने वाली मौतों के शवों का अंतिम संस्कार किया गया.

वहीं गुरुवार को ही दिल्ली सरकार ने जो कोरोना वायरस को लेकर अपनी डेली रिपोर्ट जारी की उसमें दिल्ली में अब तक हुई मौत का आंकड़ा 1085 बताया गया है.

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हिसाब-किताब में कई पेंच

दरअसल, मौत के हिसाब-किताब के इस खेल को समझने में कई पेंच हैं. पेंच कई मामलों में तकनीकी भी हैं. कोरोना से होने वाली मौत पर नजर रखने के लिए और मौत की वज़ह की पहचान करने के लिए दिल्ली सरकार ने 20 अप्रैल को ही एक डेथ ऑडिट कमेटी बना दी थी.

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इस कमेटी के मुखिया पूर्व डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज डॉ. अशोक कुमार हैं. सभी अस्पतालों को अपने यहां हुई मौतों की जानकारी 24 घंटे के भीतर 3 डॉक्टरों की इस कमेटी को भेजनी होती है.

यह कमेटी मौत के तमाम पहलुओं की जांच करती है. जिनमें केस के बारे में पूरी जानकारी वाला केस शीट शामिल होता है, उस मरीज के बारे में डॉक्टरी जांच यानी इंवेस्टिगेशन और आखिरकार मौत की वजहों की जानकारी यानि डेथ समरी की पड़ताल भी ये डेथ कमेटी करती है.

इन पहलुओं की जांच के बाद जिन मामलों में मौत की प्राथमिक वजह कोरोना पाई जाती है उन्हीं मामलों को दिल्ली सरकार अपनी रिपोर्ट में कोरोना मौत के तौर पर दिखाती है.

जबकि एमसीडी के आंकड़ों का आधार दूसरा है. नगर निगम के जिम्मे दिल्ली के सभी श्मशान घाट और कब्रिस्तान हैं. यहां पर जो शव अंतिम संस्कार के लिए आते हैं उनका हिसाब-किताब एमसीडी रखती है.

आईसीएमआर के नए निर्देश

अगर किसी की मृत्यु संदिग्ध हालत में होती है, जहां कोरोना मौत की एक वजह हो सकता है, उन शरीरों का भी अंतिम संस्कार कोरोना की तय गाइडलाइन के हिसाब से ही होता है. यानी वो भी एमसीडी के रजिस्टर में कोरोना के खाते में चले जाते हैं.

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आईसीएमआर के ताजा दिशा-निर्देशों के मुताबिक तो अगर किसी शख्स का कोरोना टेस्ट मौत से पहले नहीं होता है, फिर मृत शरीर से कोरोना जांच के लिए सैंपल तक नहीं लिए जाते हैं, लेकिन लक्षण के आधार पर उस शव का अंतिम संस्कार भी कोरोना के लिए तय गाइडलाइन के मुताबिक ही किया जाता है. इसलिए, एमसीडी के मुताबिक जो आंकड़े हैं वो दिल्ली सरकार के आंकड़ों से कहीं ज़्यादा हैं.

दिल्ली में कोरोना की वजह से होने वाली मौतों को लेकर ये कोई पहला विवाद नहीं है. पहले भी कई अस्पतालों ने ये दावा किया था कि जो मौत के आंकड़े उनकी तरफ से भेजे जाते हैं, वो दिल्ली सरकार अपनी रिपोर्ट में शामिल नहीं करती है.

शाम 5 बजे तक भेजें रिपोर्ट

इसके बाद 10 मई को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने सभी अस्पतालों को सख्त निर्देश जारी कर कहा था कि अस्पताल अपने यहां होने वाली मौत के बारे में जानकारी हर रोज 5 बजे शाम तक भेज दिया करें.

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सरकार ने अस्पतालों को ये भी कहा था कि मौत की रिपोर्टिंग में अस्पताल स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसेस यानि एसओपी का ध्यान रखें, ऐसा न करने पर आपदा प्रबंधन कानून के तहत अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

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इस निर्देश के बाद दिल्ली सरकार ने अपनी रिपोर्ट में अस्पतालों में पहले हुई मौतों को अपडेट करने का सिलसिला भी शुरू किया था.

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