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क्यों सवालों के घेरे में है कोरोना रोकने में तेलंगाना की ‘सफलता’?

तेलंगाना में जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में नए केस की संख्या राष्ट्रीय औसत की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ी, लेकिन जुलाई के अंतिम सप्ताह तक यह थमती दिखाई देने लगी. 2 अगस्त तक तेलंगाना में हर 23 दिनों में केस दोगुने हो रहे थे, जो 21 दिनों के राष्ट्रीय औसत से ज्यादा था.

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क्या तेलंगाना में कम हो रहे हैं कोरोना केस (फाइल-पीटीआई)
क्या तेलंगाना में कम हो रहे हैं कोरोना केस (फाइल-पीटीआई)

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  • तेलंगाना में अब तक 5 लाख से भी कम टेस्ट
  • हैदराबाद में 8 जुलाई के बाद से केस में गिरावट
  • तेलंगाना में 2 अगस्त तक 66,677 केस दर्ज
  • कर्नाटक में इस दौरान कुल केस 1,34,819 दर्ज
जून के अंत तक ऐसा लग रहा था कि हैदराबाद और बेंगलुरु में कोरोना केस मुंबई या दिल्ली की तरह तेजी से बढ़ रहे हैं. बेंगलुरु में अब भी केस उसी रफ्तार से बढ़ रहे हैं, लेकिन हैदराबाद में कोरोना केसों का ग्राफ काफी नीचे आता हुआ दिखाई दे रहा है. क्या सच में ऐसा हुआ है?

जब ऐसा लगा कि दूसरे बड़े शहरों में संकट कुछ कम हो रहा है, हैदराबाद और बेंगलुरु में जून के अंत तक केस काफी तेजी से बढ़ने लगे. 3 जून से हैदराबाद में हर दिन 100 से ज्यादा केस दर्ज हो रहे थे, लेकिन 3 जुलाई तक यहां हर दिन 1,000 से ज्यादा केस आने लगे. बेंगलुरु में 100 से ज्यादा दैनिक केस का उछाल 19 जून से शुरू हुआ और 4 जुलाई तक हैदराबाद की ही तरह यहां भी हर दिन 1,000 से ज्यादा केस आने लगे.

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हैदराबाद में गिरावट जारी

बेंगलुरु में अब भी उसी रफ्तार से नए केस आ रहे हैं. 16 जुलाई से यहां हर दिन 2,000 से ज्यादा केस दर्ज हो रहे हैं, जबकि हैदराबाद का पीक खत्म हो गया और फिर कुछ ही दिनों में यहां केस कम होने लगे. हैदराबाद में 8 जुलाई तक नए केस बढ़ते रहे, इसके बाद कम होने लगे और यह गिरावट बरकरार है.

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जुलाई के मध्य से दोनों राज्य अल-अलग ट्रैक पर चल निकले. 24 जून के बाद से तेलंगाना में कर्नाटक से ज्यादा नए केस आ रहे थे, लेकिन मात्र दो हफ्ते में यहां का ग्राफ नीचे आने लगा, जबकि कर्नाटक में केस बढ़ते रहे. 2 अगस्त तक तेलंगाना में कुल 66,677 केस दर्ज हुए, जबकि कर्नाटक में कुल केस 1,34,819 हो गए.

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तेलंगाना में जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में नए केस की संख्या राष्ट्रीय औसत की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ी, लेकिन जुलाई के अंतिम सप्ताह तक यह थमती दिखाई देने लगी. 2 अगस्त तक तेलंगाना में हर 23 दिनों में केस दोगुने हो रहे थे, जो 21 दिनों के राष्ट्रीय औसत से ज्यादा था, लेकिन कर्नाटक में केस और ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं. यहां हर 14 दिन पर केस दोगुने हो रहे हैं.

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काफी कम टेस्ट कर रहा तेलंगाना

कर्नाटक की तुलना में तेलंगाना काफी कम टेस्ट कर रहा है. हालांकि, इसने प्रतिदिन टेस्ट की संख्या बढ़ाई है. इसके अलावा, तेलंगाना की पॉजिटिविटी रेट देश में सबसे ज्यादा थी, लेकिन अचानक नीचे आ गई, जबकि कर्नाटक में यह लगातार बढ़ रही है.

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तेलंगाना ने कुल मिलाकर 5 लाख से कम टेस्ट किए हैं. यह कर्नाटक के कुल टेस्ट का सिर्फ एक तिहाई है. तेलंगाना ने प्रति 10 लाख लोगों पर 13,000 से कम लोगों का टेस्ट किया है, जबकि कर्नाटक ने प्रति 10 लाख लोगों पर 21,000 से ज्यादा टेस्ट किए हैं.

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कर्नाटक की रोजाना जिलेवार रिपोर्ट

हालांकि, कर्नाटक और तेलंगाना के बीच एक बड़ा अंतर पारदर्शिता का है. कर्नाटक हर दिन जिला-वार नए केस, मौतों और टेस्ट के आंकड़े जारी करता है, जबकि तेलंगाना हर दिन जिले-वार सिर्फ नए केस का आंकड़ा जारी करता है, मौतों और टेस्ट का आंकड़ा जारी नहीं करता. इसलिए यह कहना असंभव है कि हैदराबाद की केस संख्या कम टेस्ट से प्रभावित हुई है या नहीं.

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इसके अलावा, तेलंगाना इस बात का भी ब्योरा जारी नहीं करता कि उसकी टेस्ट संख्या में कितने एंटीजन टेस्ट हैं और कितने RT-PCR टेस्ट हैं. यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है क्योंकि एंटीजन टेस्ट कम संवेदनशील हैं और इसके जरिये जो नगेटिव ​रिपोर्ट आती है, उसके गलत होने की संभावना ज्यादा रहती है. दूसरी तरफ कर्नाटक ने बताया है कि उसकी कुल टेस्ट संख्या में से 14 प्रतिशत एंटीजन टेस्ट हैं.

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क्या ये तथ्य तेलंगाना की गिरती संख्या को प्रभावित कर सकते हैं? इन तथ्यों के बारे में सही जानकारी के बिना तेलंगाना की 'सफलता' का सच सामने नहीं आ सकता.

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