केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन को विकसित करने में भारतीय वैज्ञानिकों ने शानदार काम किया है. डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि पूरी दुनिया में 250 कोरोना वैक्सीन पर काम हो रहा है इनमें से 30 सिर्फ भारत में ही हैं. डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि वैक्सीन के विकास में हम दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कोरोना के खिलाफ देश ने दो फ्रंट पर काम किया. उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जहां एक तरफ डॉक्टर्स, नर्स और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स ने अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की जान बचाने में जुटे थे, वहीं दूसरी तरफ हमारे वैज्ञानिकों ने भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कर जो काम कर दिखाया, वो ऐतिहासिक है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये काम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा.
कोरोना के खिलाफ भारत के वैज्ञानिकों की कामयाबी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के उन 4-5 देशों में शामिल है, जिसने कोरोना वायरस को सबसे पहले आइसोलेट करने में सफलता प्राप्त की थी. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के नए म्यूटेंट वायरस को भी हमने आइसोलेट कर लिया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैक्सीन के विकास में हम दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं रहे हैं.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने वायरस को स्टोर करने के लिए बायो रिपॉजिट्री भी बनाई, ताकि इंड्रस्ट्री, स्टूडेंट, फार्मा कंपनी इस पर रिसर्च कर सके. डॉ हर्षवर्धन ने भारत साइंटिफिक कम्युनिटी की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया में 200 से 250 कोरोना वैक्सीन विकसित की जा रही हैं. इनमें से सिर्फ 30 भारत में हैं, जो अलग अलग स्टेज में हैं. डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि ये वैक्सीन अलग-अलग स्टेज में हैं. इनमें से दो को तो आपात इस्तेमाल की अनुमति भी मिल चुकी है.
भारत में इस समय 30 vaccine candidates हैं। ये सभी अलग-अलग stages में काम कर रहे हैं।
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) January 5, 2021
इनमें से तीन human clinical trials और चार advanced preclinical phase में हैं।
इनमें से दो vaccines को नये साल पर सीमित आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी भी दी गई है।
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उन्होंने कहा कि आज भारत इस स्थिति में है कि WHO और वैक्सीन पर ग्लोबल अलायंस GAVI को भारत की दक्षता पर भरोसा है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में जो भी वैक्सीन बन रहे हैं उसकी गुणवत्ता, प्रभावकारिता और क्लीनिकल ट्रायल के परिणामों के विश्लेषण और प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय फोरम द्वारा दुनिया की 7 प्रयोगशालाओं को चुना गया है. इनमें भारत की एक प्रयोगशाला फरीदाबाद स्थित Translational Health Science & Technology Institute भी है.