
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कोरोना मरीजों को इलाज के लिए बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में सरकार ने अब बेड बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि, इसका असर नॉन-कोविड मरीजों पर पड़ने वाला है.
सोमवार को दिल्ली एम्स ने आदेश जारी कर बताया कि 22 अप्रैल से अगले दो हफ्तों तक अस्पताल में ओपीडी सर्विस बंद रहेगी. अगर दो हफ्तों बाद भी हालात नहीं सुधरे, तो ये समय और बढ़ सकता है. हालांकि, इस दौरान डॉक्टर मरीजों से फोन पर बात कर उन्हें कंसल्ट करते रहेंगे. एम्स में अब केवल टेलीमेडिसिन की सुविधा ही मिलेगी.नियमित अस्पताल में दाखिला भी बंद करने का फैसला लिया गया है. इसके अलावा इलेक्टिव सर्जरी भी फिलहाल बंद कर दी गई है. ये व्यवस्था अभी दो हफ्ते तक के लिए है. इसके बाद स्थिति की समीक्षा की जाएगी.
आदेश के मुताबिक, दिल्ली एम्स में अब पूरी तरह से कोरोना मरीजों पर ही फोकस किया जाएगा और उनका इलाज किया जाएगा. एम्स ने बताया कि अगले दो हफ्तों तक अस्पताल में नॉन-कोविड मरीजों को भर्ती नहीं किया जाएगा. अगर किसी मरीज की पहले से ही कोई सर्जरी या ऑपरेशन की तारीख थी, तो उसे भी आगे बढ़ा दिया गया. मतलब, अगर किसी मरीज की कोई सर्जरी, ऑपरेशन या रूटीन चेकअप की तारीख 22 अप्रैल के बाद थी, तो अब उस तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है. कुल मिलाकर अगले दो हफ्तों तक नॉन-कोविड मरीजों का इलाज एम्स में नहीं होगा.
हालांकि, अगर कोई एमरजेंसी आती है, तो नॉन-कोविड मरीजों को भी भर्ती किया जा सकेगा. लेकिन ऐसे मरीजों को प्राइवेट वार्ड में ही भर्ती किया जाएगा.
सिर्फ दिल्ली एम्स ही नहीं, ऋषिकेश एम्स ने भी ओपीडी सर्विस बंद करने का फैसला लिया है. यहां भी डॉक्टर फोन पर ही मरीजों की मदद करेंगे. ऋषिकेश एम्स में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 300 बेड की व्यवस्था की गई है, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाकर 500 बेड तक किया जा सकता है.
दिल्ली में रविवार को बीते 24 घंटे में कोरोना के 25,462 नए मामले सामने आए हैं. ये आंकड़ा अब तक का सबसे ज्यादा है. इसके साथ ही पॉजिटिविटी रेट भी बढ़कर 29.74% हो गया है. यानी, हर 100 टेस्ट में से 30 लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं. रविवार को 161 मौतें भी रिकॉर्ड हुईं. राजधानी में अब तक 8,53,460 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 12,121 लोगों की जान जा चुकी है. फिलहाल 74,941 मरीजों का इलाज चल रहा है.