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इंदौर: कोरोना ने दिखाए ये दिन, पहले टोकन लेकर 8 घंटे इंतजार, फिर शवों का अंतिम संस्कार

इंदौर में परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए भी टोकन बांटे जा रहे हैं. वहीं उस टोकन को हासिल करना भी मृतक के परिजनो के लिए परेशानी का सबब बन रहा है. 6 से 8 घंटे इंतजार करने के बाद अंतिम संस्कार करने का मौका मिल रहा है.

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इंदौर के श्मशान घाट का हाल बेहाल
इंदौर के श्मशान घाट का हाल बेहाल
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इंदौर में कोरोना से हाल बेहाल
  • श्मशान घाट में शवों की लाइन
  • टोकन के जरिए हो रहा अंतिम संस्कार

मध्यप्रदेश में कोरोना से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. राज्य में कोरोना का ऐसा विस्फोट हुआ है कि रोज नए रिकॉर्ड कायम हो रहे हैं और मरने वालों की संख्या में भी तेजी आई है. हालात इतने खराब हैं कि अब श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार होना मुश्किल साबित हो रहा है. इंदौर में तो परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए भी टोकन बांटे जा रहे हैं. वहीं उस टोकन को हासिल करना भी मृतक के परिजनो के लिए परेशानी का सबब बन रहा है. 6 से 8 घंटे इंतजार करने के बाद अंतिम संस्कार करने का मौका मिल रहा है.

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इंदौर के श्मशान घाटों में शवों की लाइन

इंदौर के पंचकुइया मुक्तिधाम में अकेले औसतन 10 से 12 कोविड मरीजों का दाह संस्कार किया जा रहा है. बुधवार को 40 से 45 कोविड व सामान्य बॉडी का दाह संस्कार किया गया. वहीं गुरुवार दोपहर तक 10 तो कोविड की बॉडी व 7 सामान्य मौत की बॉडी देखी गईं. इंदौर के ही रीजनल पार्क मुक्ति धाम का हाल भी बेहाल है. वहां पर 32 लाशें आईं जिसमे 21 लाशें कोविड पेशेंट की थीं. बस जगह बदल रही है, लेकिन हालात समान है. अगर एक तरफ अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत होती दिख रही है, तो वहीं श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो रहा है. कोरोना की ऐसी मार देखने को मिल रही है कि अब हर तरह के रीति रिवाज को भी ताक पर रख दिया है. पिछले कई दिनों से सूर्यास्त के बाद भी रात 9, 10 बजे तक लाशों का अंतिम संस्कार हो रहा है.

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मौत के असल आंकड़े छिपाए जा रहे?

वहीं विवाद तो इस बात पर भी छिड़ गया है कि प्रशासन की तरफ से मौत के असली आंकड़े छिपाए जा रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि अगर इंदौर के सभी श्मशान और कब्रिस्तान को मिला लिया जाए तो कोविड से मौत के असली आंकड़े सामने आ जाएंगे. एक श्मशान घाट में पिछले 40 साल से कार्यरथ सोहन कल्याणे बताते हैं कि उन्होंने ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे थे. उन्होंने कहा है-  इस तरह के हालात मैंने जीवन काल में नहीं देखे हैं जहां शव को जलाने के लिए परिजनों की बैठक तक दहन किया हो, लेकिन पिछले 3 दिनों से जूनि इंदौर श्मशान में शव बाहर जलाए जा रहे हैं इससे कोरोना की भयावहता का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है. 

श्मशान घाट में कर्मचारियों की कमी

श्मशान घाट पर ही काम करने वाले एक कर्मचारी ने यहां तक कह दिया है कि अब वे अस्थि कलश 15 दिन तक नहीं रखते हैं. उनकी माने तो रैक पूरी भरी हुई है और जगह की भारी कमी है. वहीं श्मशान घाट में क्योंकि शवों की संख्या ज्यादा हो गई है, ऐसे में काम करने वाले कर्मचारियों की जरूरत भी ज्यादा महसूस हो रही है. लेकिन इस मुश्किल समय में तमाम श्मशान घाट कर्मचारियों की कमी से भी जूझते दिख रहे हैं.

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