
भारत में कोरोना को तीन साल पूरे हो गए हैं. आज से ठीक तीन साल पहले 30 जनवरी 2020 को देश में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. ये मामला दक्षिणी केरल में सामने आया था. उस समय चीन के वुहान शहर से लौटे एक मेडिकल छात्र में वायरस पाया गया था. वुहान से ही कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी.
भारत में जब कोरोना का पहला केस सामने आया था, तब दुनिया के 18 और देशों में संक्रमण के मामले सामने आ चुके थे. देश में कोरोना का पहला मरीज फरवरी में ठीक भी हो गया था. फरवरी 2020 में देश में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया, लेकिन मार्च से इसकी रफ्तार बढ़ गई. यही वजह है कि कोरोना का पहला मामला सामने आने के 52 दिन बाद 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उस समय बताया था कि दुनिया में सबसे सख्त लॉकडाउन भारत में लगाया गया था. इस सख्ती का असर भी दिखा था. हालांकि, जैसे ही सब अनलॉक होना शुरू हुआ, वैसे ही कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे थी.
तीन साल में तीन लहर...
- पहली लहरः देश में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी 2020 को केरल में सामने आया था. पहली लहर का पीक 17 सितंबर 2020 को आया था. उस दिन करीब 98 हजार केस सामने आए थे. 10 फरवरी 2021 से पहली लहर कमजोर हुई और मामले कम होने लगे. पहली लहर करीब 377 दिन तक चली थी. इस दौरान 1.08 करोड़ मामले सामने आए थे और 1.55 लाख मौतें हुई थीं. हर दिन औसतन 412 मौतें हुईं.
- दूसरी लहरः मार्च 2021 से ही संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे. अप्रैल और मई में दूसरी लहर अपने चरम पर थी. 1 अप्रैल से 31 मई यानी 61 दिन तक कोरोना की दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई. इस दौरान 1.60 करोड़ नए मरीज मिले. 1.69 लाख लोगों की मौत हुई. यानी हर दिन औसतन 2,769 मरीजों की मौत हुई. दूसरी लहर का पीक 6 मई 2021 को आया था. तब एक दिन में 4.14 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे.
- तीसरी लहरः ओमिक्रॉन की वजह से देश में तीसरी लहर की शुरुआत हुई. 27 दिसंबर 2021 से तीसरी लहर शुरू हुई. 21 जनवरी को इसका पीक आया. उस दिन 3.47 लाख मामले सामने आए थे. फिर संक्रमण कम होने लगा. तीसरी लहर संक्रामक थी लेकिन जानलेवा नहीं थी. मात्र महीनेभर में ही तीसरी लहर में भारत में 50.05 लाख नए मरीज मिल चुके थे. जबकि, 10 हजार 465 लोगों की मौत हुई थी.
चौथी लहर आते-आते टल गई
दिसंबर में जब चीन समेत दुनियाभर के कई देशों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे थे, तो भारत में भी चौथी लहर का खतरा मंडराने लगा था. हालांकि, भारत में चौथी लहर नहीं आई.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 65 नए मरीज सामने आए हैं, जबकि इस दौरान 158 लोग ठीक भी हुए हैं. देश में इस समय एक्टिव केसेस यानी कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 1,755 है.
पर सवाल ये कि भारत में चौथी लहर क्यों नहीं आई? एक्सपर्ट इसकी वजह हर्ड इम्युनिटी और वैक्सीनेशन को मानते हैं. दरअसल, चीन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना के मामलों में तेजी की वजह ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BF.7 था. ये वैरिएंट पिछले साल जुलाई में ही भारत में आ गया था, लेकिन उस वजह से न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ा और न ही मौतें.
हालांकि, अमेरिका के बाद भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश है जहां कोरोना की सबसे बुरी मार पड़ी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 30 जनवरी से अब तक देश में कोरोना के 4.46 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इस दौरान 5.30 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
वैक्सीनेशन की तेज रफ्तार...
किसी भी बीमारी की वैक्सीन बनने में सालों और कई बार तो दशकों का समय लग जाता है. एचआईवी एड्स हमारे बीच चार दशकों से है, लेकिन आजतक उसकी वैक्सीन नहीं बन सकी है. पर कोविड की वैक्सीन बनाने में दुनिया को बड़ी जल्दी कामयाबी मिल गई.
वैसे तो अगस्त 2020 में रूस ने दुनिया की पहली कोविड वैक्सीन स्पूतनिक-वी बनाने का ऐलान किया था, लेकिन चीन का दावा था कि उसके यहां वैक्सीनेशन पहले ही शुरू हो चुका है. साल 2020 खत्म होते-होते भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड भारत में आ चुकी थी.
भारत में 16 जनवरी 2021 से कोविड वैक्सीनेशन शुरू हुआ. उसी साल 21 अक्टूबर तक भारत ने 100 करोड़ डोज का आंकड़ा पार कर लिया. पिछले साल 17 जुलाई को भारत में 200 करोड़ डोज लगाने का आंकड़ा पार हो गया.
कोविन पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, देश में अब तक 220 करोड़ से ज्यादा डोज लगाई जा चुकी हैं. 102 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, जबकि 95 करोड़ से ज्यादा लोग दोनों डोज लगवा चुके हैं. 22 करोड़ से ज्यादा ऐसे हैं जिन्होंने प्रिकॉशन या बूस्टर डोज भी ले ली है.