क्या कोरोना के नए वैरिएंट सामने आ सकते हैं? ये सवाल एक बार फिर से खड़ा हो रहा है. दुनिया के कई देशों में वैक्सीनेशन के बावजूद कोविड के मामले बढ़ने लगे हैं. विशेषज्ञ भी कोरोना के नए वैरिएंट नहीं आने की बात से इनकार नहीं करते. विशेषज्ञ भी यही मानते हैं कि वायरस के नए-नए वैरिएंट आ सकते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वायरस लोगों को संक्रमित करता रहेगा, तब तक इसके वैरिएंट सामने आते रहेंगे. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है नए वैरिएंट लगातार आते रहेंगे या वो ज्यादा खतरनाक होंगे.
एक्सपर्ट का कहना है कि अभी भी दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी का वैक्सीनेशन होना बाकी है, ऐसे में कई महीनों या सालों तक संक्रमण के रहने का खतरा है. वो बताते हैं कि जब वायरस अपनी कॉपी बनाता है तो उसमें छोटा सा म्यूटेशन हो सकता है जो वायरस को जिंदा रहने में मदद करता है और इससे नए वैरिएंट बन सकते हैं.
अमेरिका की पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के वायरस एक्सपर्ट एंड्र्यू रीड बताते हैं कि जब कोई वायरस किसी नई प्रजाति को संक्रमित करता है तो उसे और ज्यादा फैलने के लिए नए होस्ट की जरूरत होती है.
म्यूटेट हो सकता है वायरस...
मिशिगन यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एडम लॉरिंग बताते हैं कि सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट वायरस के पिछले वैरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक है. ये अभी भी और ज्यादा संक्रामक होने के लिए म्यूटेट हो सकता है, लेकिन ये भी हो सकता है कि इसका ट्रांसमिशन रेट पहले की तरह दोगुना न हो.
एक्सपर्ट का मानना है कि हो सकता है कि वायरस और ज्यादा घातक हो जाए, लेकिन जरूरी नहीं कि ये ज्यादा संक्रामक भी हो. एक्सपर्ट अब इस बात पर भी नजर रख रहे हैं कि क्या वायरस के उभरता वैरिएंट संक्रमण या वैक्सीनेशन से आई इम्युनिटी को प्रभावित कर सकता है. फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर में वायरस एक्सपर्ट डॉ. जोशुआ शिफर बताते हैं कि जैसे-जैसे लोग वैक्सीनेट होते जाएंगे, वैसे-वैसे हो सकता है कि ये वायरस कम इम्युनिटी वाले लोगों के जरिए फैले.
वो कहते हैं कि वायरस म्यूटेट हो सकता है जो इम्युनिटी को कमजोर बना देगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो हमें वैक्सीन को अपडेट करना होगा और जैसे हर साल फ्लू की वैक्सीन दी जाती है, उसी तरह इसे भी देना होगा.