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Omicron: मृतकों में 90% ने नहीं ली थी वैक्सीन, युवा भी चपेट में... ICMR की स्टडी

Coronavirus Omicron in India: ओमिक्रॉन को लेकर की गई आईसीएमआर की स्टडी में सामने आया है कि इस लहर में जितने लोगों की मौत हुई है, उनमें 10 में से 9 लोग ऐसे थे जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी.

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वैक्सीन नहीं ली और पहले से कोई गंभीर बीमारी तो मौत का खतरा ज्यादा. (फाइल फोटो-PTI)
वैक्सीन नहीं ली और पहले से कोई गंभीर बीमारी तो मौत का खतरा ज्यादा. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • को-मोर्बिडिटी वाले ज्यादा संक्रमित
  • ऐसे लोगों में मौत का खतरा भी ज्यादा

Coronavirus Omicron in India: ओमिक्रॉन की वजह से आई कोरोना की तीसरी लहर अब थोड़ी कमजोर होती जा रही है. इसी बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR की स्टडी में सामने आया है कि ओमिक्रॉन की वजह से जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें हर 10 में से 9 लोग ऐसे थे जिन्हें वैक्सीन नहीं ली थी. शायद यही वजह रही कि दूसरी लहर के मुकाबले तीसरी लहर उतनी ज्यादा घातक नहीं रही.

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आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि दोनों डोज लेने के बाद भी संक्रमित हुए लोगों की मृत्यु दर 10% थी. जबकि वैक्सीन नहीं लेने वालों में मृत्यु दर 22% रही. आईसीएमआर के मुताबिक, मौत का खतरा उन लोगों को ज्यादा है जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है. डॉ. भार्गव ने बताया कि वैक्सीन लेने के बाद भी जिनकी मौत हुई है, उनमें 10 में से 9 ऐसे थे जो पहले से ही किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. 

ये भी पढ़ें-- Omicron से ज्यादा खतरनाक होगा अगला कोविड वैरिएंट, WHO ने दी चेतावनी

तीसरी लहर युवा ज्यादा संक्रमित

ये बातें आईसीएमआर की नेशनल क्लिनिकल रजिस्ट्री ऑफ कोविड-19 की स्टडी में सामने आई है. इस स्टडी के लिए अलग-अलग समय का डेटा लिया गया. डॉ. भार्गव ने बताया कि एक अवधि 15 नवंबर से 15 दिसंबर की थी, जिसमें डेल्टा वैरिएंट डोमिनेंट था और दूसरी अवधि 16 दिसंबर से 17 जनवरी थी, जिसमें ओमिक्रॉन हावी रहा. 

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डॉ. भार्गव ने बताया कि पिछली लहरों की तुलना में इस लहर में युवा आबादी ज्यादा संक्रमित हुई. उन्होंने बताया कि लहर में संक्रमितों की औसत आयु 44 साल रही. जबकि पिछली लहरों में औसत आयु 55 साल थी. 

देश के 1,520 अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर की गई स्टडी में सामने आया कि इस लहर में को-मोर्बिडिटी वाले मरीज ज्यादा थे. डॉ. भार्गव ने बताया कि इस लहर में जितने युवा संक्रमित हुए, उनमें से 46% को कोई गंभीर बीमारी थी. 

उन्होंने ये भी बताया कि मरीज बढ़ने के बावजूद इस लहर में दवाओं का इस्तेमाल कम हुआ. उन्होंने बताया कि इस लहर में ज्यादातर मरीजों को गले में खराश की समस्या थी.

 

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