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Omicron: 136 करोड़ आबादी, 1.04 करोड़ हेल्थ वर्कर्स, 845 लोगों पर 1 डॉक्टर, हालात बिगड़े तो कैसे निपटेंगे?

Coronavirus Omicron in India: देश में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की रफ्तार बेकाबू होती जा रही है. एक्सपर्ट ने इस महीने के आखिर तक हर दिन 20 लाख नए केस आने की आशंका जताई है. अगर ऐसा होता है तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं.

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तीसरी लहर में देश के हजार से ज्यादा डॉक्टर अब तक संक्रमित हो चुके हैं. (फाइल फोटो-PTI)
तीसरी लहर में देश के हजार से ज्यादा डॉक्टर अब तक संक्रमित हो चुके हैं. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देश में 12.89 लाख डॉक्टर्स हैं
  • महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा डॉक्टर्स
  • यूपी में मात्र 89 हजार डॉक्टर हैं

Coronavirus Omicron in India: ओमिक्रॉन की वजह से देश में कोरोना की रफ्तार एक बार फिर से तेज हो गई है. देश में हर दिन आने वाले नए मामलों की संख्या एक लाख के पार पहुंच गई है. संक्रमण दर लगातार बढ़ती जा रही है. ओमिक्रॉन को लेकर एक डराने वाली बात ये भी है कि इस पर वैक्सीन का कोई असर नहीं पड़ रहा है. वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोग भी इससे संक्रमित हो रहे हैं. एक बात ये भी डराती है कि कोरोना से सीधी लड़ाई लड़ रहे डॉक्टर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स भी संक्रमित हो रहे हैं. 

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एक्सपर्ट का अनुमान है कि जो ट्रेंड अमेरिका में देखने को मिल रहा है, अगर वही भारत में भी दिखता है तो हमारे देश में हर दिन औसतन 20 लाख नए केस आएंगे. अगर ऐसा होता है तो हालात दूसरी लहर से भी ज्यादा भयावह हो सकते हैं. क्योंकि सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि देश में 12.89 लाख एलोपैथिक डॉक्टर्स हैं. इनके अलावा 5.65 लाख आयुष डॉक्टर्स हैं. इस लिहाज से हर 845 लोगों पर एक डॉक्टर है. 

नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के मुताबिक, देश में 2019 में डॉक्टरों की संख्या 12.34 लाख थी. वहीं, इसी साल मार्च में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि 31 दिसंबर 2020 तक एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या 12.89 लाख थी. सबसे ज्यादा 1.88 लाख डॉक्टर महाराष्ट्र में हैं. इसके बाद 1.48 लाख डॉक्टर तमिलनाडु में हैं. फिर कर्नाटक (1.31 लाख), आंध्र प्रदेश (1.05 लाख) और उत्तर प्रदेश (89 हजार) का नंबर आता है.

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136 करोड़ आबादी, 1.04 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स

- आधार जारी करने वाली संस्था UIDAI के अनुमान के मुताबिक, देश की आबादी 136.09 करोड़ है. वहीं, 14 दिसंबर 2021 तक CoWin पोर्टल पर 1.04 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स रजिस्टर्ड थे. हेल्थकेयर वर्कर्स में डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ शामिल है.

- आबादी के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है. यहां 23.09 करोड़ से ज्यादा आबादी है, लेकिन यहां 9.83 लाख हेल्थकेयर वर्कर्स हैं. उसके बाद महाराष्ट्र है जहां की आबादी 12.44 करोड़ है. यहां सबसे ज्यादा 13.17 लाख हेल्थकेयर वर्कर्स हैं. 

- कोरोना के दौर में सारा जिम्मा हेल्थकेयर वर्कर्स पर है. लेकिन कोविड के इस दौर में भी हमारे देश में 14 राज्य ऐसे हैं जहां 50 हजार से भी कम हेल्थकेयर वर्कर्स हैं. इनमें ज्यादातर उत्तर पूर्वी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं. 

- 20 लाख केस हर दिन आने की आशंका जताई जा रही है. अगर ऐसा होता है तो हालात बहुत बिगड़ सकते हैं. क्योंकि इससे एक्टिव केस बढ़ जाएंगे. देश में अभी तक सबसे ज्यादा एक्टिव केस पिछले साल 10 मई को थे. तब 37.45 लाख मरीजों का इलाज चल रहा था. दूसरी लहर में कोरोना के नए मामलों का पीक 4.5 लाख के ऊपर नहीं गया था. अगर तीसरी लहर में पीक 20 लाख तक भी पहुंचता है तो एक्टिव केस दूसरी लहर की तुलना में 5 गुना ज्यादा हो सकते हैं. 

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हमारी हेल्थ पर सिर्फ GDP का 1.8% खर्च

- जून 2019 में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने देश में स्वास्थ्य पर खर्च को लेकर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को GDP का 2.5% हेल्थ पर खर्च करना चाहिए. उनका कहना था कि यूरोपीय देशों में GDP का 7-8% खर्च किया जाता है, लेकिन भारत में ये 1.5% है. 

- हालांकि, उसके बाद भी बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है. बजट दस्तावेज 2020-21 में सरकार ने हेल्थ पर GDP का 1.8% खर्च किया था. इससे पहले 2019-20 में 1.5% खर्च हुआ था. 

- मई 2018 में आई साइंस जर्नल Lancet की 'हेल्थकेयर एक्सेस एंड क्वालिटी इंडेक्स' में 195 देशों में भारत की रैंक 145 थी. इस मामले में भारत चीन, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका से भी पीछे था.

2021-22 में सरकार ने स्वास्थ्य पर 2.23 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया है. इसमें से 35 हजार करोड़ रुपये का फंड कोरोना वैक्सीन के लिए है. इसी में से करीब 74 हजार करोड़ रुपये स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए है. 2020-21 में सरकार ने पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए 67,112 करोड़ रुपये रखे थे. हालांकि, बाद में कोरोना आ गया, जिस वजह से स्वास्थ्य मंत्रालय का बजट रिवाइज करके 82,928 करोड़ रुपये कर दिया गया. नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2020 के मुताबिक, 2017-18 में देश में हर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सालभर में होने वाला सरकारी खर्च मात्र 1,657 रुपये था. 

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