दुनियाभर में कोरोना संक्रमण का डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) तबाही मचा रहा है. डेल्टा वैरिएंट के कारण कई देशों में फिर से कोरोना के मामले (Covid Cases) बढ़ने लगे हैं. इस बीच वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है कि डेल्टा वैरिएंट आखिरी नहीं है और भविष्य में और भी वैरिएंट आने की आशंका है. इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों को ये भी डर है कि इन वैरिएंट पर वैक्सीन (Vaccine) भी ज्यादा असरदार नहीं होगी, इसलिए भविष्य में बूस्टर डोज की जरूरत भी पड़ सकती है. डेल्टा वैरिएंट खतरनाक क्यों है? और वैज्ञानिकों को क्या है चिंता? आइए समझते हैं...
डेल्टा क्यों है खतरनाक?
डेल्टा वैरिएंट को कोरोना (Corona) के बाकी वैरिएंट से इसलिए भी खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इसकी R-वैल्यू बाकी वैरिएंट की तुलना में कहीं ज्यादा है. दिसंबर 2019 में कोरोना का जो वैरिएंट सबसे पहले आया था, जिसे वुहान वैरिएंट (Wuhan Variant) भी कहते हैं, उसकी R-वैल्यू 2-3 थी, जबकि डेल्टा वैरिएंट की R-वैल्यू 5-6 है. R-वैल्यू से ही पता चलता है कि एक संक्रमित व्यक्ति कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है. डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित एक व्यक्ति 5 से 6 लोगों में संक्रमण फैला सकता है. इतना ही नहीं, डेल्टा वैरिएंट कुछ ही देर में हवा में फैल सकता है.
डेल्टा पर वैक्सीन कितनी असरदार?
वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी जो कोरोना की वैक्सीन (Covid Vaccine) आई हैं, वो डेल्टा वैरिएंट पर कम प्रभावी हैं. इसलिए आने वाले वक्त में बूस्टर डोज (Booster Dose) की जरूरत पड़ सकती है. वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि वैक्सीन कोरोना के ट्रांसमिशन को कम जरूर करती है, लेकिन ये पूरी तरह से नहीं रोकती है. इसलिए वैक्सीनेटेड लोग भी संक्रमण फैला सकते हैं. ऐसे में खतरा उन लोगों को ज्यादा है जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है.
ब्रिटेन सरकार की साइंटिफिक एडवाइजरी ग्रुप फॉर एमरजेंसीस (SAGE) के वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है कि भविष्य में वायरस में 'एंटीजेनिक ड्रिफ्ट' हो, जो वैक्सीन को कम प्रभावी बना देंगे. इसलिए भविष्य में वैक्सीन को अपग्रेड करने के साथ-साथ बूस्टर डोज की भी जरूरत पड़ सकती है.
SAGE के वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि भविष्य में 'रिवर्स जूनोसिस' होने की भी संभावना है, जो इंसान के लिए ज्यादा हानिकारक हो सकता है या मौजूदा वैक्सीन से बच सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये एक ऐसा परिदृश्य होगा जिसमें वायरस पहले किसी जानवर को संक्रमित करेगा, उसके बाद इंसानों में फैलेगा.
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क्या और खतरनाक हो जाएगा वायरस?
SAGE के वैज्ञानिकों का मानना है कि रिकॉम्बिनेशन से वायरस के नए स्ट्रेन (Strain) पैदा हो सकते हैं. ये तब होता है जब वायरस संक्रमित व्यक्ति से या फिर किसी दूसरे वायरस से जीन लेता है और नया स्ट्रेन बनाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले वक्त रिकॉम्बिनेशन से वायरस के नए स्ट्रेन भी सामने आ सकते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस कितना खतरनाक होगा, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इस बात की उम्मीद भी नहीं की जा सकती कि भविष्य में वायरस कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा. उनका ये भी कहना है कि इंसान इन वायरस को पकड़ भी नहीं सकता.
इवोल्यूशन थ्योरी के आधार पर लगाए गए इस अनुमान में SAGE के वैज्ञानिकों ने भविष्य में महामारियों को लेकर चेताया भी है. SAGE का कहना है कि आने वाले वक्त में भी कई वायरस इंसानों में फैल सकते हैं, जैसा अभी तक हमने देखा है.