scorecardresearch
 

CoWin को लेकर सरकार ने ऐसा कौन सा फैसला लिया है, जिस पर चिंता जता रहे हैं एक्सपर्ट

कोरोना वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने कोविन पोर्टल में कुछ बदलाव किए हैं. सरकार ने कोविन प्लेटफॉर्म के एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस यानी API को थर्ड पार्टी एप्स के लिए ओपन कर दिया है. इससे सरकार को उम्मीद है कि डेटा का उपयोग कर थर्ड पार्टी एप्स आम लोगों की मदद कर सकेंगे.

Advertisement
X
सरकार ने कोविन की एपीआई को पब्लिक कर दिया है.
सरकार ने कोविन की एपीआई को पब्लिक कर दिया है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार ने कोविन की API को पब्लिक कर दिया है
  • सरकार को उम्मीद है, आम लोगों की मदद होगी

वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने कोविन पोर्टल में कुछ बदलाव किए हैं. सरकार ने कोविन प्लेटफॉर्म के एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस यानी API को थर्ड पार्टी एप्स के लिए ओपन कर दिया है. इससे सरकार को उम्मीद है कि डेटा का उपयोग कर थर्ड पार्टी एप्स आम लोगों की मदद कर सकेंगे. इससे पहले कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अगर कोविन के एपीआई को पब्लिक किया जाता है, तो इससे उसका दुरुपयोग होने का खतरा भी है. हालांकि, कोविन चीफ डॉ. आरएस शर्मा का कहना है कि इसका गलत इस्तेमाल करना नामुमकिन है, क्योंकि ये रजिस्ट्रेशन के लिए ओटीपी मांगता है.

Advertisement

कुछ एक्सपर्ट का दावा है कि एपीआई डाटा को पब्लिक कर देने भर से रजिस्ट्रेशन प्रोसेस ऑटोमेट करने के लिए नहीं किया जा सकता है. बल्कि इसका इस्तेमाल सेल्फ-रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के लिए रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) के साथ किया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए भी तकनीक और संसाधनों की जरूरत होगी, ताकि प्लेटफॉर्म पर ज्यादा से ज्यादा लोगों का रजिस्ट्रेशन हो सके. लेकिन ये कठिन टास्क है. 

एपीआई क्या है?
जिस तरह इंसानों को बात करने के लिए किसी प्लेटफॉर्म या भाषा की जरूरत होती है, उसी तरह मशीन या प्रोग्राम एपीआई के जरिए एक-दूसरे से बात करते हैं. एपीआई को अक्सर डेवलपर्स के लिए पब्लिक किया जाता है, ताकि प्रोग्राम को और ज्यादा उपयोगी बनाया जा सके. कोविन के मामले में एपीआई को 28 अप्रैल से पब्लिक कर दिया गया है.

Advertisement

कोविन के एपीआई को पब्लिक करने के पीछे मकसद था कि लोगों को वैक्सीनेशन ड्राइव को लेकर अलग-अलग प्लेटफॉर्म से जानकारी मिल सके. लोगों को सिर्फ कोविन पर ही निर्भर ना रहना पड़े. एपीआई के पब्लिक होने की वजह से ही डेवेलपर्स कई तरह के समाधान लेकर आ रहे हैं. जैसे- Under45 नाम से एक टेलीग्राम चैनल है, जो एपीआई की मदद से लोगों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में बताता है. इसी तरह से आईआईटी के कम्प्यूटर इंजीनियर अमित अग्रवाल ने भी एक ओपन सोर्स गूगल शीट तैयार की है, जो लोगों को उनके क्षेत्र में वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर ईमेल के जरिए अलर्ट भेजता है.

क्या API का इस्तेमाल ऑटोमैटिक रजिस्ट्रेशन में हो सकता है?
कोविन एप की एपीआई पब्लिक होने भर से ऑटोमैटिक रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता है. सरकार ने अपनी ओर से रजिस्ट्रेशन को ऑटोमैट करने के लिए एपीआई जारी नहीं किया है. अमित अग्रवाल बताते हैं, "जहां तक मुझे पता है, एपीआई पोर्टल पर सिर्फ पिन कोड या जिलों में वैक्सीन की उपलब्धता की जानकारी ही है. वहां रजिस्ट्रेशन के लिए एपीआई नहीं मिलता है." कोविन चीफ आरएस शर्मा का भी कहना है कि बिना ओटीपी ऑथेंटिकेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कर पाना संभव नहीं है.

Advertisement

हालांकि, डिजिटल सॉल्यूशन कंपनी इनैफु लैब्स के कोफाउंडर तरुण विग का कहना है कि रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमैशन (RPA) के जरिए ऑटोमैटिक रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, "लोग ओपन एपीआई की मदद से वैक्सीन की उपलब्धता की जानकारी ले सकते हैं और बाद में आम यूजर की तरह ही कोविन पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं." हालांकि, उनका ये भी कहना है कि मौजूदा हालातों में इसका व्यापक इस्तेमाल नहीं हो सकता है.

तरुण विग का ये भी कहना है कि सरकार ने एपीआई के इस्तेमाल को लेकर लिमिट भी तय कर दी है. उन्होंने बताया कि "जो लोग एपीआई की मदद से वैक्सीन स्लॉट की जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें आम यूजर की तुलना में आधे घंटे देर से जानकारी मिल रही है." उनका ये भी कहना है कि सरकार डेवेलपर्स के लिए भी रजिस्ट्रेशन को लेकर कुछ क्लॉज जोड़ सकती है, ताकि इसका गलत इस्तेमाल करने से रोका जा सके.

एपीआई के इस्तेमाल को लेकर अब भी सवाल!
हालांकि, जानकार अब भी एपीआई के गलत इस्तेमाल को लेकर सवाल उठा रहे हैं. सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (SFLC.in) के लीगल डायरेक्टर प्रसंथ सुगाथन का कहना है कि "कोविन प्लेटफॉर्म पर एपीआई का गलत इस्तेमाल कर लोग रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. ऐसे में उन लोगों को नुकसान है, जो तकनीक को अच्छी तरह से नहीं समझते हैं. साथ ही ये गरीबों के साथ भी अन्याय है."

Advertisement

हालांकि, इस पर डॉ. शर्मा का कहना है, "अगर आपके पास स्किल है, ज्ञान है और आप एक डेवलपर्स हैं, तो क्या इसका मतलब यही है कि आपका काम दूसरों को धोखा देना है? युवा कोडर्स और डेवेलपर्स को दूसरों की मदद करनी चाहिए, न कि सिस्टम को नुकसान पहुंचाना चाहिए." उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर कोई डेवेलपर्स एपीआई की मदद से ऑटोमैटिक रजिस्ट्रेशन करता है, तो ये नैतिक चिंता का विषय है. डॉ. शर्मा का मानना है कि जो डेवलपर्स ऐसा कर रहे हैं जो डेवलपर्स ऐसा कर रहे हैं, वो देश की मदद नहीं कर रहे हैं.

एक्सपर्ट इस बात की ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए प्राइवेट प्लेटफॉर्म पब्लिक एपीआई का उपयोग कर सकते हैं. एक्सपर्ट इसके लिए पेटीएम का उदाहरण देते हैं, जिसने हाल ही में अपने ग्राहकों के लिए वैक्सीन स्लॉट अलर्ट का फीचर लॉन्च किया है. अमित अग्रवाल कहते हैं, "पेटीएम को 7 करोड़ से ज्यादा लोग इस्तेमाल करते हैं और उसने अपनी एप में ये फीचर जोड़ा है. जब ऐसी बड़ी कंपनियां एप में ऐसे फीचर जोड़ती हैं, तो इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा होता ही है."

 

Advertisement
Advertisement