कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. चीन से दुनियाभर में फैले इस वायरस से निपटने का इलाज फिलहाल किसी देश के पास नहीं है. वहीं, भारत सहित तमाम देशों में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के जरिए इस महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है. हालांकि कई देश कोरोना की वैक्सीन की खोज में दिन-रात जुटे हुए हैं. इस बीच एक अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट ने कोरोना वैक्सीन को लेकर अच्छे संकेत दिए हैं.
वायरस हंटर के नाम से मशहूर अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट इयान लिपकिन ने कहा कि अगले साल मार्च या अप्रैल तक कोरोना की वैक्सीन आ सकती है. इंडिया टुडे के न्यूज ट्रैक प्रोग्राम में एक्सक्लूसिव बातचीत में लिपकिन ने कहा कि वैक्सीन आने में वक्त लगता है. इसकी तैयारी जोरों पर है, लेकिन कम से कम एक साल का वक्त वैक्सीन बनाने में लग ही जाता है. हम उम्मीद करते हैं कि अप्रैल 2021 तक वैक्सीन आ जाएगी. वहीं, भारत तक वैक्सीन पहुंचने पर उन्होंने कहा कि ये भारत सरकार की पॉलिसी पर तय होगा. ऐसे में थोड़ा वक्त लग सकता है.
लिपकिन ने कहा कि वैक्सीन आने के बाद कुछ वक्त तक लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रहेगी क्योंकि शुरुआत में वैक्सीन से लोग परहेज करेंगे. इसलिए वैक्सीन आने के बाद भी थोड़े समय के लिए परेशानी बनी रह सकती है.
Should people go back to the office, go out and eat at restaurants? Here is what Dr Ian Lipkin has to say on this. #CoronavirusCrisis #IndiaBattlesCorona Watch #Newstrack pic.twitter.com/3nw1KL1pC6
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) May 20, 2020
वहीं, भारत में लॉकडाउन 4.0 में दिए गए छूट के बीच कोरोना से बचाव पर पूछे गए सवाल पर लिपकिन ने खुलकर अपनी राय रखी. ऑफिस में वर्किंग कल्चर पर लिपकिन ने कहा कि वर्किंग प्लेस पर लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखना और कोरोना से बचाव के लिए कॉमन सेंस रखना जरूरी है. जैसे फेस टु फेस कॉन्टैक्ट से बचें, हाथ मिलाने से बचें. एक निश्चित दूरी पर बैठे.
प्राइमरी सेक्शन के बच्चे से बढ़ सकता है खतरा
स्कूल-कॉलेज ओपन होने की स्थिति पर लिपकिन ने कहा कि बड़े बच्चे तो इसे समझते हैं, लेकिन प्राइमरी सेक्शन के बच्चों के लिए ये खतरनाक है. भारत में संयुक्त परिवार का कल्चर है. घर में बुजुर्ग होते हैं और बच्चे उनके संपर्क में जरूर आएंगे. इससे बुर्जुगों की परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे में प्राइमरी बच्चों के साथ ज्यादा सावधानी बरतनी होगी.
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लिपकिन ने फ्लाइट्स में यात्रा को लेकर कहा कि ये भी संक्रमण को लेकर ठीक नहीं है. फ्लाइट्स में यात्रा करने वाले गलव्स पहनें और मास्क जरूर लगाएं. आखिर में कोरोना संकट के बीच भारत की ओर से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजे जाने के सवाल पर लिपकिन मुस्कुराए, लेकिन कोई टिप्पणी नहीं की. इयान लिपकिन ने कहा कि कोरोना से बचने का एकमात्र इलाज फिलहाल सामाजिक दूरी है.