कोरोना टीकाकरण अभियान की बिना बाधा लाॉन्चिंग के लिए रविवार को केंद्र सरकार के अधिकारियों ने राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मीटिंग की. इस दौरान 16 जनवरी से शुरू हो रहे टीकाकरण कार्यक्रम के लिए सबसे अहम साबित होने जा रहे CoWIN एप्लीकेशन पर चर्चा हुई.
मीटिंग के दौरान कोविड से जंग के लिए बनी तकनीकी और डाटा मैनेजमेंट के चेयरमैन राम सेवक शर्मा ने कहा कि कोरोना टीकाकरण के लिए सरकार ने बेहद शानदार तकनीक के जरिए एक सेटअप तैयार किया है, जो दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम की रीढ़ साबित होगा. कार्यक्रम में मौजूद राज्य के प्रधान सचिवों, राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण कभी नहीं हुआ है.
डॉ रामसेवक शर्मा ने कहा कि हमें इस लक्ष्य के साथ काम करना है कि कोरोना का टीका कहीं भी कभी भी उपलब्ध रहेगा. एमपॉवर्ड ग्रुप के चेयरमैन ने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान डाटा का संग्रह और अध्ययन सबसे अहम बात होगी. उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी को लेकर कुछ राज्यों ने कहा है कि डाटा को उसी समय बिना किसी लापरवाही के स्टोर किया जाएगा.
वैक्सीनेशन में 'नो प्रॉक्सी' पॉलिसी
डॉ रामसेवक शर्मा ने कहा है कि टीकाकरण के दौरान सबसे ज्यादा जरूरी है कि जिस व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन हुआ उसे ही टीका दिया जाए, उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी तरह से प्रॉक्सी सामने न आने पाए. उन्होंने कहा कि जिसे टीका लगाया जा रहा है उसकी पहचान स्पष्ट होनी चाहिए ताकि बिना किसी परेशानी के उसकी पहचान की जा सके.
आधार कार्ड का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल
डॉ शर्मा ने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम के लिए आधार कार्ड का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होगा. उन्होंने राज्यों से कहा कि टीकाकरण के इच्छुक लोग अपना मौजूदा मोबाइल नंबर और आधार नंबर का इस्तेमाल कर पंजीकरण कराएं. उन्होंने कहा कि आगे टीकाकरण से जुड़ा सारा कम्युनिकेशन एमएमएस के जरिए किया जाएगा.
वैक्सीनेशन से जुड़ी सारी जानकारी डिजिटल
केंद्र सरकार के मुताबिक ये बेहद जरूरी है कि टीका लेने वाले शख्स की पहचान हो सके और उसका डिजिटल रिकॉर्ड रखा जा सके कि उसे कौन वैक्सीन दे रहा है, कहां दे रहा है और उसे कौन सी वैक्सीन दी जा रही है.