कोरोना की दूसरी लहर का खतरा भले कम हो गया हो, लेकिन अब एक्सपर्ट और आम लोगों को संभावित तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave in India) का खतरा सताने लगा है. इस बीच एक्सपर्ट्स ने माना है कि तीसरी लहर का असर सबसे ज्यादा बच्चों पर होगा ऐसा साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता. लेकिन यह भी है कि बच्चों को कोरोना होगा ही नहीं, ऐसा मानकर नहीं चला जा सकता.
इंडिया टुडे से बातचीत में शेफाली गुलाटी (बाल न्यूरोलॉजिस्ट, एम्स दिल्ली) ने बताया कि एम्स ने सीरो पॉजेटिविटी का सर्वे किया था. इसमें पाया गया था कि 2-17 साल के बच्चों में सीरो पॉजेटिविटी रेट 55 फीसदी था. वहीं व्यस्कों में यह 63.7 फीसदी था. मतलब कोरोना की आई लहरों में बच्चों (Corona Effect on Children) पर भी असर हुआ है, हालांकि, उनको गंभीर लक्षण नहीं थे.
इसके पीछे की वजह बताते हुए डॉक्टर शेफाली ने कहा कि वायरस एस रिसेप्टर (Ace2 Receptor) के जरिए अंदर घुसता है और ये बच्चों में कम होते हैं. इसलिए उनको कोविड का खतरा कम रहता है. साथ ही साथ बच्चों की इम्यूनिटी बड़ों से बेहतर होती है. डॉक्टर शेफाली ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बच्चों को कोविड नहीं हो सकता. बस इतना है कि कोविड हुआ तो गंभीर संक्रमण का खतरा कम है.
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क्या बच्चों को भी लगाना चाहिए मास्क
एक्सपर्ट से पूछा गया कि अगर बच्चों में कोविड का खतरा कम है, तो भी क्या उनको मास्क लगाना जरूरी है? इसपर डॉक्टर लिम (बाल न्यूरोलॉजिस्ट, लंदन) ने कहा कि बच्चों को भी मास्क लगाना चाहिए. आगे कहा गया कि 2 साल से ऊपर के सभी बच्चों को मास्क लगाना चाहिए. छोटे बच्चों को कवर करने के लिए फेस शील्ड लगा सकते हैं.'
स्कूल को खोलने पर क्या है एक्सपर्ट की राय
कोरोना काल में लंबे वक्त से बच्चें घर पर हैं. एक्सपर्ट से स्कूलों के खुलने पर जब सवाल पूछा गया तो डॉक्टर अमित सेन (बाल मनोचिकित्सक) ने कहा कि जब अनलॉक में धीरे-धीरे सब कुछ खुल रहा है तो अब स्कूलों को भी खोला जाना चाहिए. डॉक्टर लिम ने भी इसका समर्थन किया. वहीं डॉक्टर शेफाली गुलाटी ने कहा कि जब बच्चों को वैक्सीन लगनी शुरू हो जाए, तब ही स्कूलों को खोला जाना चाहिए.