बिहार के दरभंगा में एक बड़े प्राइवेट अस्पताल ने इलाज के नाम पर लाखों का बिल बना दिया और मरीज की मौत भी हो गई. डीएम की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अस्पताल ने कोरोना मरीज के इलाज के नाम पर लाखों रुपये ऐंठे. डीएम ने पारस ग्लोबल अस्पताल द्वारा लिए गए रुपयों को पीड़ित को वापस कराने के आदेश दिए है. साथ ही अनुशात्मक कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं.
इलाज के नाम ऐठें लाखों रुपये
दरभंगा सूचना जन संपर्क विभाग ने शाम प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मीडिया को यह जानकारी दी. जिसमें कई खामियां अस्पताल की दिखाई गईं. इतना ही नहीं रिपोर्ट में मरीज की मौत के बाद भी बिल में दवा को जोड़ा गया. यानी अस्पताल मौत के बाद भी मरीज का इलाज करता रहा. डीएम की जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि मृतक मरीज दिलीप सिंह का अस्पताल ने कोई कोरोना का टेस्ट नहीं कराया और न ही मृतक मरीज का रैपिड एंटीजन टेस्ट कराया न ही RTPCR टेस्ट कराया गया था. मरीज को 21 मई को ही दरभंगा के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 29 की रात उसकी मौत हो गई थी.
मौत के बाद भी होता रहा इलाज
रिपोर्ट में लिखा गया है कि मरीज को जरूरत से ज्यादा दवा दी गई, जिनकी जरूरत नहीं थी. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि मरीज की मौत 29, 30 की रात करीब 12:58 पर हुई. बावजूद इसके 30 मई को दवा का खर्च दिखाया गया. जांच कमेटी ने यह भी पाया कि तीन दिन तक मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया था. लेकिन अस्पताल ने 9 दिन का वेंटिलेटर का बिल बनाया.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की मरीज को अनावश्यक और अत्यधिक दवा दी गयी जिसकी कोइ जरूरत नहीं थी. सबसे हैरान करने वाली बात जांच रिपोर्ट में यह है की जब 29 - 30 मई की रात 12 : 58 में मरीज की मौत हो गयी इसके बाद भी 30 मई को दवा का खर्च दिखाया गया है इतना ही नहीं जांच कमिटी ने अपने जांच में यह भी पाया की मरीज मात्र तीन दिन वेंटिलेटर पर रहा लेकिन अस्पताल ने अपने बिल में नौ दिन तक वेंटिलेटर पर मरीज़ को दिखा बिल बना दिया.
डीएम की रिपोर्ट में हुए कई चौंकाने वाले खुलासे
इतना ही नहीं अस्पताल ने सरकार की कोविड -19 गाइड लाइन का भी उल्लंघन किया और तय रकम से ज्यादा पैसे भी वसूल लिए. साथ ही यह भी बात सामने आई की मौत के बाद पैसे वसूलने के लिए अस्पताल की तरफ से पीड़ित परिवार के साथ बेहद खराब व्यवहार भी किया. जांच रिपोर्ट में बताया गया की सरकारी गाइड लाइन के तहत अस्पताल का बिल मात्र एक लाख अठारह हजार होता है, जबकि अस्पताल ने पीड़ित से दो लाख तीस हजार रुपये लिए जो गलत है.
अस्पताल ने नहीं की मरीज की कोरोना जांच
मृतक के पिता ने बताया कि उनका 32 साल का लड़का था. जिसे वो कोविड के इलाज के लिए पारस अस्पताल लेकर गए थे. उनका बच्चा नहीं बचा और अस्पताल ने दो लाख 27 हजार रुपये की मांग की जबकि दो लाख बीस हजार दे चुके थे. पैसे न जमा करने पर शव को देने से इनकार करने लगे. जब उनसे बाकी के पैसे मांगे तो वो उल्टा डीएम बनकर फोन पर धमकी देने लगे. पैसे नहीं होने के कराण कबीर सेवा संस्था से शव को संस्कार कराने के लिए संपर्क किया. साथ ही पैसे न होने और अस्पताल की करतूत की बात भी बताई.
मृतक के परिजनों को रुपये न देने पर धमकाया गया
इसके बाद कबीर सेवा संस्था के लोगों ने पीड़ित की मदद की और जिलाधिकारी को इस घटना से अवगत कराया. प्रशासन के कहने पर शव को तत्काल परिजनों को दिया गया. लेकिन यहां भी अस्पताल ने कोविड गाइड लाइन का पालन नहीं किया और शव को ऐसे ही परिजनों को थमा दिया. बाद में शव को कबीर सेवा संस्था के लोगों ने पीपीई किट पहन कर प्लास्टिक में पैक किया और शव का दाह संस्कार किया.
शव के अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे पिता के पास
इस मामले पर जिलाधिकारी ने कैमरे पर कुछ भी कहने से मना कर दिया. लेकिन उन्होंने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने की बता कही है. साथ ही कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दे दिए हैं. इसके अलावा अस्पताल द्वारा तय रकम से ज्यादा लिए पैसो में से एक लाख बारह हजार रुपये अस्पताल से रिकवर कर तुरंत पीड़ित परिवार को दिलाने का भी आदेश दिया.