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'पीक पर पहुंचा कोरोना तो दूसरे देशों से बुलाने पड़ सकते हैं हेल्थ ग्रेजुएट्स'

लोकनायक अस्पताल के आरडीए प्रेसिडेंट डॉक्टर पर्व मित्तल का कहना है कि अभी 10000 बेड की देखरेख करने के लिए पहले से ही डॉक्टर और नर्सेज के अधिकांश मैन पावर इस्तेमाल हो चुका है. दिल्ली सरकार के सभी बड़े अस्पतालों में जैसे लोकनायक, जीटीबी, राजीव गांधी और प्राइवेट अस्पताल जैसे अपोलो, मैक्स, गंगाराम पूरी पूरी तरीके से, 9500 बेड की क्षमता के साथ इस्तेमाल हो रहे हैं.

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दिल्ली में कोरोना मरीज तेजी से बढ़े हैं (फोटो- पीटीआई)
दिल्ली में कोरोना मरीज तेजी से बढ़े हैं (फोटो- पीटीआई)

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  • दिल्ली में हो सकती है हेल्थ स्टाफ की किल्लत
  • 80 हजार बेड के लिए कहां से आएंगे डॉक्टर
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सरकार का अनुमान है कि दिल्ली में कोविड- 19 मामलों की कुल संख्या 31 जुलाई तक बढ़कर 5.5 लाख हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सरकार को इन विकट परिस्थितियों को संभालने के लिए 80,000 बेड की आवश्यकता होगी.

ऐसे में सवाल यह है कि कम्युनिटी हॉल और बैंक्विट हॉल्स को तो आइसोलेशन सेंटर्स में बदलकर बेड की व्यवस्था तो की जा सकती है लेकिन हेल्थ केयर वर्कर की कमी को पूरा कैसे किया जाएगा.

लोकनायक अस्पताल के आरडीए प्रेसिडेंट डॉक्टर पर्व मित्तल का कहना है कि अभी 10000 बेड की देखरेख करने के लिए पहले से ही डॉक्टर और नर्सेज के अधिकांश मैन पावर इस्तेमाल हो चुका है. दिल्ली सरकार के सभी बड़े अस्पतालों में जैसे लोकनायक, जीटीबी, राजीव गांधी और प्राइवेट अस्पताल जैसे अपोलो, मैक्स, गंगाराम पूरी पूरी तरीके से, 9500 बेड की क्षमता के साथ इस्तेमाल हो रहे हैं.

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पूर्वोत्तर के हेल्थ वर्कर्स की लेनी पड़ सकती है मदद

डॉक्टर पर्व मित्तल ने कहा कि "जब कोरोना चरम पर होगा उस वक्त डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स का क्राइसिस होना संभव है, क्योंकि दुनिया के बड़े देशों जैसे यूएस और इटली तक में देखा गया कि वहां हेल्थ केयर वर्कर्स की कमी हो गई. ऐसे में जो राज्य कोरोना वायरस से कम संक्रमित हुए हैं, जैसे नॉर्थ ईस्ट स्टेट्स हो या साउथ के, वहां के हेल्थ वर्कर्स की मदद दिल्ली सरकार ले सकती है. अगर इसके बाद भी देश में डॉक्टर्स की कमी पूरी नहीं होती तो शायद भारत को दूसरे देशों से इंटरनेशनल मेडिकल ग्रेजुएट्स को भी बुलाना पड़ सकता है".

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डॉक्टरों पर पहले से ही बोझ

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के RDA प्रेसिडेंट डॉक्टर सक्षम मित्तल ने बताया कि डॉक्टरों पर अभी ही काफी बोझ है क्योंकि वह कोविड-19 और सामान्य मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को यह सोचना होगा कि डॉक्टर जो लगातार कोविड-19 पॉजिटिव भी पाए जा रहे हैं, उनकी सुरक्षा के लिए आगे आने वाले दिनों में जब केस और बढ़ेंगे तब क्या करना है. उन्होंने दूसरे राज्यों से डॉक्टरों को बुलाने की सलाह दी है.

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डॉक्टर भी हो रहे हैं पॉजिटिव

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ गिरीश त्यागी का भी कहना है कि आगे आने वाले दिनों में जैसे-जैसे बेड की जरूरत बढ़ेगी, वैसे-वैसे डॉक्टर्स, नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ की भी जरूरत बढ़ती जाएगी. चिंता की बात यह है कि जैसे-जैसे केसे बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे डॉक्टर भी कोरोना वायरस पॉज़िटिव हो रहे हैं.

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डॉक्टर गिरीश त्यागी ने कहा कि "दिल्ली सरकार जैसे होटल स्टेडियम को इस्तेमाल करने का सोच रही है ताकि बेड की कमी ना हो. वैसे ही डॉक्टर की कमी ना हो इसके लिए भी सरकार को कुछ व्यवस्था करनी होगी."

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली सरकार महज 1.5 महीनों में 60,000 कोविड-19 बेड की व्यवस्था करने की जद्दोजहद में लगी हुई है. फिलहाल दिल्ली में 36 हजार से ज्यादा कोरोना केस सामने आ चुके हैं. अब सरकार के लिए एक बड़ा चैलेंज अब यह रहेगा कि इन बेड की देखरेख के लिए उसी अनुपात में डॉक्टर्स, नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ को इतने कम वक्त में कहां से लाया जाए.

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