चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रीक जालान की एक डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस बारे में पहले ही सरकारी एजेंसियों ने पर्याप्त गाइडलाइन जारी किए हैं.
अदालत ने पीपीई किट निर्माताओं को आगाह किया
हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि यदि एक घटिया किस्म के पीपीई में निर्माता का रोल सामने आता है तो उसे कानून का सामना करना पड़ेगा.
इस याचिका को वकील अमित जैन ने दाखिल किया था और अदालत से मांग की थी कि वो सरकार को निर्देश दे कि पीपीई किट के आयात, निर्माण, बिक्री और वितरण को ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत नियंत्रित करे.
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याचिका में एक्शन की मांग
इसके अलावा इस कानून के प्रावधानों के मुताबिक घटिया क्वालिटी और खराब पीपीई किट बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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याचिका में यह भी मांग की गई थी कि पीपीई किट के निर्माण, आयात और सप्लाई से जुड़ी चीजों पर निगाह रखने के लिए एक कमीशन या बॉडी का गठन किया जाए.
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दिशानिर्देश के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई
याचिका में कहा गया है कि कपड़ा मंत्रालय द्वारा अप्रैल में जारी दिशा-निर्देश के बावजूद ऐसे मामले सामने आए जब डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को घटिया क्वॉलिटी के पीपीई किट दिए गए. याचिकाकर्ता के मुताबिक कई बार तो ये किट इतने खराब थे कि डॉक्टरों ने इसे पहनने से ही इनकार कर दिया. हालांकि ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.