महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग के बीच भारत में दो वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन को DCGI ने मंजूरी दी है. पूरे देश में इस बात की खुशी है कि देश के वैज्ञानिकों ने कोरोना को खत्म करने वाली दवाई बना ली है. वहीं, विपक्ष की ओर से कोरोना की वैक्सीन पर सवाल उठाए जा रहे हैं. इन सबके बीच ICMR के डीजी बलराम भार्गव ने आश्वस्त किया है कि भारत में बनीं दोनों वैक्सीन किसी अन्य वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा प्रभावी हैं. आजतक से खास बातचीत करते हुए बलराम भार्गव ने उन सभी सवालों के जवाब दिए जो कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी देने के बाद उठ रहे हैं.
सवाल- टीकाकरण कार्यक्रम कब तक शुरू हो जाएगा?
जवाब- वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई है. उनको अब स्टोर किया जा रहा है. कई राज्यों में टीकाकरण का ड्राई रन किया गया जो सफल भी रहा. हम पूरी तरह से तैयार हैं. हमारे पास वो लोग भी हैं जिन्हें टीका लगाया जाएगा. ऐसे में मुझे लगता है कि एक या दो हफ्ते में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हो जाएगा. स्वास्थ्य मंत्रालय पिछले 16 वर्षों से बच्चों और महिलाओं को टीका लगा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के पास टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने की पूरी क्षमता है.
सवाल- कोवैक्सीन को क्यों मंजूरी दी गई?
जवाब- वायरस को ICMR में आइसोलेट किया गया था. बाद में उसे भारत बायोटेक को दिया गया. सभी प्री क्लीनिकल ट्रायल के बाद उन्होंने वैक्सीन बनाई. फेज 1 और फेज 2 ट्रायल के दौरान भी सेफ्टी देखी गई. तीसरे चरण का ट्रायल भी तीन से चार दिन में पूरा हो जाएगा. क्लीनिकल मोड में मंजूरी दी गई है, जिसका मतलब है कि जिन मरीजों को वैक्सीन दी जाएगी उन्हें मॉनिटर किया जाएगा और नियामक दोनों वैक्सीन के डेटा को करीब से देखेगा. मेरा मानना है कि ये एक अच्छा कदम है.
सवाल- एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल बेकअप के तौर पर होगा. इसपर आप क्या कहते हैं?
जवाब- सबसे महत्वपूर्ण ये है कि हमारे पास दो वैक्सीन है. हम यूके स्ट्रेन को लेकर चिंतित हैं. फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन इनपर प्रभावी नहीं हैं. तभी तो फाइजर के सीईओ ने कहा कि जरूरत पड़ने पर अगले 6 हफ्ते में वो वैक्सीन को मॉडिफाई करेंगे. इसी तरह हमारे पास ऐसी वैक्सीन है जो यूके स्ट्रेन पर भी प्रभावी होगी. कोविशील्ड और कोवैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान में स्टोर किया जा सकता है और वैक्सीन के दो डोज 28 दिन के अंदर दिए जाएंगे.
सवाल- फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन यूके स्ट्रेन के खिलाफ असरदार नहीं हैं. क्या इस वजह से भारत बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी गई है?
उत्तर- भारत बायोटेक की वैक्सीन यूके के स्ट्रेन पर भी प्रभावी है और हम यूके स्ट्रेन को आइसोलेट करने में सफल रहे हैं. कोवैक्सीन और कोविशील्ड अन्य किसी वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा असरदार हैं.
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सवाल- मार्केट में कब आएगी वैक्सीन?
जवाब- वैक्सीन को इमरजेंसी यूज का लाइसेंस दिया गया है. अभी इन्हें ओपन मार्केट में नहीं बेचा जाएगा. फुल लाइसेंस मिलने के बाद वैक्सीन को ओपन मार्केट में बेचा जाएगा.
सवाल- क्या कोवैक्सीन को मंजूरी देने में कोई शॉर्ट कट अपनाया गया?
उत्तर- ये महत्वपूर्ण और अच्छा प्रश्न है. हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात काम किया. उन्होंने भारत में वैक्सीन बनाई है और शानदार प्रदर्शन किया है. हमने दुनिया को अपनी ताकत दिखाई है. मेरे और वैज्ञानिक समुदाय के दृष्टिकोण से वैक्सीन को मंजूरी देने में कोई भी शॉर्ट कट नहीं अपनाया गया. चाहे वो चूहों पर स्टडी की गई हो, बंदरों पर या फेज 1 या फेज 2 की स्टडी हो. कोई शॉर्ट कट नहीं. दोनों वैक्सीन में सेफ्टी का पूरा ख्याल रखा गया है. दोनों ही वैक्सीन प्रभावी हैं और जहां तक भारतीय नियामक और वैज्ञानिकों की बात है तो किसी भी संबंध में शॉर्ट कट नहीं अपनाया गया.
सवाल- भारत की वैक्सीन फाइजर और मॉडर्ना से बेहतर क्यों है?
उत्तर- भारत की वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान में स्टोर किया जा सकता है, जबकि फाइजर और मॉडर्ना के साथ ऐसा नहीं है. इन दोनों वैक्सीन को -17 से -19 डिग्री में स्टोर करना पड़ता है. हमारी वैक्सीन को अन्य किसी वैक्सीन की तरह रखा जा सकता है.
सवाल-एस्ट्रा जेनेका का कहना है कि अधिकतम प्रभावकारिता के लिए 8-12 सप्ताह का अंतराल सबसे अच्छा है. तब क्यों हम 28 दिन के गैप के लिए जा रहे हैं?
उत्तर- हमारे पास जो डेटा मौजूद है, उसी के आधार पर आवेदन को प्रोसेस किया गया है. अगर डेटा अलग होता है तो बदलाव भी किया जा सकता है.
सवाल- वैक्सीन 70 प्रतिशत असरदार है. इसका क्या मतलब है?
उत्तर- कोई भी वैक्सीन पूरी दुनिया में 100 प्रतिशत असरदार नहीं होती. इन्फ्लूएंजा और अन्य बीमारियों की वैक्सीन की आदर्श प्रभावकारिता 50-60 प्रतिशत है. टीकाकरण के बाद भी हमें मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. हमें सफलतापूर्वक वायरस के चेन को ब्रेक करना है तो ऐसे में देश की पूरी आबादी को टीका लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.