अगले सप्ताह से नवरात्र की शुरुआत होने जा रही है. इसके बाद अगले एक दो महीने तक त्योहारों का सीजन है. ऐसे में एम्स निदेशक ने लोगों से अपील की है कि वो सावधानी पूर्वक त्योहारों का आनंद लें. सभी जरूरी कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करें. मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग आदि का ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखें.
वहीं पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों में स्कूल खोले गए हैं. पहले नौंवी से ऊपर तक के बच्चों के शुरू किए गए, लेकिन अब छोटे छोटे बच्चों के स्कूल भी खोले जा रहे हैं. कई मां बाप तो बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार हैं लेकिन कई मां बाप को इस बात का डर सता रहा है कि उनका यह फैसला खतरनाक साबित ना हो जाए.
इसको लेकर AIIMS निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि पिछले दो सालों से स्कूल पूरी तरह बंद है. ऐसे में बच्चों का फिजिकल ग्रोथ रुक गया है. इसलिए जरूरी है कि स्कूल खोले जाएं. लेकिन जरूरी यह भी है कि वहां भी सभी जरूरी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाए.
रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना के अलग अलग वेरिएंट्स देखने को मिल रहे है. मुख्य रूप से जो अभी वेरिएंट हैं वो डेल्टा हैं. इसके अलावा डेल्टा प्लस हैं. कई जगहों पर म्यू, सी-1,2 पाए गए हैं. लेकिन अभी तक इनको लेकर ऐसा कोई डाटा नहीं है कि यह वेरिएंट्स ज्यादा सीरियस या इंफेक्शियस है. या हम देख रहे हैं कि इनकी वजह से मौतें ज्यादा हो रही हैं. अभी तक के हिसाब से देखें तो वैक्सीन से लोगों को प्रोटेक्शन मिला है.
अगर लोगों की जान बचानी है तो लोगों को कम से कम एक डोज देना ही होगा. उसके बाद ही हमें बूस्टर डोज की बात करनी चाहिए. अब तक के डाटा के मुताबिक आम स्वस्थ लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत है, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है. दूसरी बात यह काफी महत्वपूर्ण है कि बूस्टर डेटा कौन सी देनी चाहिए. जो पहले ले चुके हैं या फिर कोई नई वैक्सीन लेनी चाहिए.बेहतर होगा कि अभी इंतजार करें. पक्का डाटा आ जाने के बाद इसपर विचार किया जाएगा.