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Healthgiri: 'बिना वैक्सीन बच्चों को स्कूल भेजने में खतरा, लेकिन रिस्क लेना पड़ेगा'

रैडिक्स हेल्थकेयर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक ने कहा कि देश में 18 साल से कम उम्र के कुल 48 करोड़ बच्चे हैं. ये बच्चे पूछते हैं कि हमें कब सुरक्षा मिलेगी. उन्होंने कहा कि जायडस कैडिला की वैक्सीन जल्द आने वाली है. शायद इस महीने के अंततक बच्चों को वैक्सीन लगनी शुरू भी हो जाए.

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बच्चों के लिए वैक्सीनेशन जरूरी क्यों? डॉक्टरों ने बताया (फोटो- आजतक)
बच्चों के लिए वैक्सीनेशन जरूरी क्यों? डॉक्टरों ने बताया (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बच्चों के लिए इस महीने शुरू होगी वैक्सीनेशन
  • 40 प्रतिशत आबादी सिर्फ बच्चो की
  • हर्ड इम्यूनिटी के लिए बच्चों को वैक्सीन देना जरूरी

India Today Healthgiri: पैनल के डॉक्टरों ने माना कि बच्चों में भी कोरोना का खतरा है. इसलिए उन्हें वैक्सीन लगानी जरूरी है. उन्होंने कहा कि लगातार घरों में रहने से और ऑन लाइन क्सासेज के कारण बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अस्पतालों में ऐसे बच्चे आ रहे हैं जो टेंशन के शिकार हो रहे हैं. 

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आजतक के खास कार्यक्रम 'इंडिया टुडे ग्रुप हेल्थगीरी अवॉर्ड्स' में 'बच्चों के लिए वैक्सीनेशन?' सेशन पर पैनल डिस्कशन हुआ. इसमें पैनल के सभी डॉक्टरों ने माना कि बच्चों को वैक्सीन लगानी जरूरी है. क्योंकि ज्यादा दिन तक उन्हें स्कूल के बिना नहीं रखा जा सकता है. 

रैडिक्स हेल्थकेयर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक ने कहा कि देश में 18 साल से कम उम्र के कुल 48 करोड़ बच्चे हैं. ये बच्चे पूछते हैं कि हमें कब सुरक्षा मिलेगी. उन्होंने कहा कि जायडस कैडिला की वैक्सीन जल्द आने वाली है. शायद इस महीने के अंततक बच्चों को वैक्सीन लगनी शुरू भी हो जाए.

उन्होंने कहा कि बच्चों की ये वैक्सीन जेट से दी जाएगी. मतलब कि हाई प्रेसर जेट के जरिए उन्हें ये वैक्सीन लगेगी. उन्हें इंजेक्शन देने की जरूरत नहीं है. भारत में ट्रायल में पाया गया है कि 12 साल से बड़े बच्चों के लिए जायडस कैडिला की वैक्सीन सेफ है. स्पेन में 50 फीसदी बच्चों को वैक्सीन लग चुकी है. इटली में भी काफी लग चुकी है. चार-पांच महीने में छोटे बच्चों की वैक्सीन भी आ सकती है.

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गंगाराम अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ अनिल सचदेव ने कहा, 'जिन बच्चों को अस्थमा जैसी बीमारी है उन्हें वैक्सीन पहले लगनी चाहिए. 12 से छोटे बच्चों को भी खतरा है. ऐसे में हमें स्कूल भेजने से पहले बच्चों को ट्रेनिंग देने की जरूरत है. उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग की ट्रेनिंग देनी चाहिए. बिना वैक्सीन लगे बच्चों को स्कूल भेजना रिस्क है. लेकिन रिस्क लेना पड़ेगा. 2 साल से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. ऑन लाइन क्लास चल रही है तो हम ज्यादा दिनों तक उन्हें स्कूल से वंचित नहीं रख सकते. 

डिस्कशन के दौरान सभी डॉक्टरों ने माना कि जो माता-पिता बच्चों को ट्राइल में भेज रहे हैं वो प्रशंसा के पात्र हैं. इन पेरेंट्स का समाज में बड़ा योगदान है. इन बच्चों को भी कोरोना वॉरियर माना जाना चाहिए. डॉक्टरों ने माना कि बच्चों को प्रोटेक्ट करना जरूरी है. क्योंकि उनके जरिए ग्रैंड पेरेंट्स को भी कोरोना हो सकता है.

 

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