कोविड-19 केसों की बढ़ती संख्या के साथ लोग सवाल कर रहे हैं क्या दोबारा संक्रमण होना संभव है? क्या एक बार रिकवर हो चुका कोई शख्स सोच सकता है कि वो अब पूरी तरह से मुक्त है और फिर से वायरस को कॉन्ट्रेक्ट नहीं कर सकता है? आजतक/इंडिया टुडे ने इस अहम पहलू को समझने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ बात की.
दूसरे संक्रमण की पहचान
जसलोक अस्पताल मुंबई के संक्रामक रोग विभाग के निदेशक डॉ. ओम श्रीवास्तव का कहना है कि कोई सिर्फ लक्षणों के आधार पर नहीं कह सकता कि कि किसी शख्स को दूसरा संक्रमण हुआ है. बिना उचित प्रक्रिया ऐसी पहचान करना संभव नहीं है. उनका ये भी कहना है कि दूसरे संक्रमण की मौजूदगी की बात अभी तक खुद ही स्थापित नहीं हुई है.
कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. श्रीवास्तव के मुताबिक यह पता लगाने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है कि किसी व्यक्ति को दूसरा संक्रमण हुआ है या नहीं. इस प्रक्रिया को होल जीनोम सीक्वेंसिंग (Whole genome sequencing) कहा जाता है. इस प्रक्रिया में वायरस के RNA की सीक्वेंसिंग लैब में की जाती है. इस लैब टेस्ट के बाद ही कोई कोविड-19 सीक्वेंसिंग को तय कर सकता है, और दूसरी बार की सीक्वेंसिंग के लिए भी. एक बार ऐसा हो जाने के बाद ही कोई कह सकता है कि किसी शख्स को कोविड-19 का दूसरा संक्रमण हो गया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या लक्षण दिखाई देने पर दूसरी बार संक्रमण का पता लगाने का कोई आसान तरीका है? डॉक्टर श्रीवास्तव ने कहा, “गहन लैब टेस्टिंग के बिना दूसरे संक्रमण का पता लगाना संभव नहीं है. “ये टेस्ट/ डायग्नोसिस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी जैसी रेफरेंस लैब्स में ही किए जाते हैं. इन्हें साधारण लैब्स में नहीं किया जा सकता. इसलिए, कोई मौखिक रूप से यह नहीं कह सकता कि किसी व्यक्ति को दूसरा कोविड-19 संक्रमण हुआ है. इसे स्थापित करने की एक विधि है.’’
क्या हैं सावधानियां?
महाराष्ट्र में केसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम किए जाने पर भी लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. डॉक्टर श्रीवास्तव कहते हैं, “अगर यह कोविड-19 की दूसरी लहर है, जिसे हम देख रहे हैं, तो हमें वही करना होगा जो हम पहली लहर में करते आ रहे हैं. मास्क पहनना, हाथ साफ करना और बाहर या ऑफिस स्पेस में जब भी कदम रखना हो तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी है. अन्यथा लॉकडाउन के दौरान हमें जो फायदा हुआ है, वह खत्म हो जाएगा
दूसरा संक्रमण मौजूद!
लेकिन कुछ समय से उपरोक्त मुद्दे पर कई अलग-अलग बयान आए हैं. जसलोक अस्पताल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन कंसल्टेंट डॉक्टर श्रुति टंडन कहती हैं, '' दूसरे संक्रमण पर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन कोरिया की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक जहां वायरस जीनोम को सीक्वेंस किया गया तो यह स्थापित हुआ कि असल में म्युटेशन के साथ यह दोबारा संक्रमण था. अमीनो एसिड सीक्वेंसेस में बदलाव ने बिना किसी संदेह साबित किया कि दोबारा संक्रमण हो सकता है.”
यह पता चला है कि मुंबई से कुछ सैम्पल्स पहले ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) को भेजे जा चुके हैं और मुंबई में कोविड-19 टास्क फोर्स को नतीजों का इंतजार है. केसों की बढ़ती संख्या ने स्पष्ट रूप से लोगों में डर पैदा कर दिया है कि दूसरी लहर पहले की तुलना में अधिक खतरे वाली साबित होगी. लेकिन एक उम्मीद भरे नोट पर डॉक्टर टंडन कहती हैं, "यहां अच्छी खबर यह है कि भले ही हम पुन: संक्रमण के बारे में बात करते हैं लेकिन वायरस में परिवर्तन मामूली हैं और वायरस को म्युटेट करने के लिए जाना जाता है. कुछ जन्मजात इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) मौजूद है. और पुन: संक्रमण के दूसरे बाउट पर मौजूदा साक्ष्यों से पता चलता है कि ये गंभीर बीमारी नहीं होगी, बहुत हद तक ये हल्की बीमारी ही होगी.”
यहां यह सवाल उठता है कि किन परिस्थितियों में किसी व्यक्ति को फिर से कोविड-19 संक्रमण हो सकता है? विशेषज्ञों का इस पर कहना है कि एक व्यक्ति को उन्हीं परिस्थितियों में पुन: संक्रमण हो सकता है यदि वह सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हाथों को साफ रखने जैसी सावधानियों का पालन नहीं कर रहा.
एंटी-बॉडीज की भूमिका
तो इस तरह के हालात में एंटी-बॉडीज की क्या भूमिका है? क्या वो मददगार साबित नहीं होतीं? इस बारे में डॉक्टर टंडन कहती हैं, '' किसी भी शख्स में दो प्रकार की इम्युनिटी होती है- ह्यूमोरल इम्युनिटी और टी-सेल की मध्यस्थता वाली. ह्यूमोरल इम्युनिटी एंटीबॉडी के उत्पादन के माध्यम से है. टी-सेल की मध्यस्थता वाली इम्युनिटी टी-सेल्स की आबादी के माध्यम से होती है जो वायरस पर या वायरस जैसे समान रूपों पर हमला करते हैं. अब तक, हम ह्यूमोरल इम्युनिटी को देख रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों में टी-सेल मध्यस्थता वाली इम्युनिटी में भी बहुत दिलचस्पी जगी है. इसलिए, हम वास्तव में यह नहीं कह सकते हैं कि एंटी-बॉडीज सुरक्षात्मक हैं या नहीं. यह उन कारणों में से एक हो सकता है जिनके कारण प्लाज्मा स्वास्थ्य प्रदता ट्रायल्स में नाकाम रही है. क्योंकि ये एंटी-बॉडीज सुरक्षात्मक न होकर असल में इनका रोल सिर्फ न्यूट्रलाइजिंग का रहा.”
क्या दूसरी लहर पहली से भी होगी बदतर?
विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 की दूसरी लहर पहले की तरह खराब नहीं होने वाली है. डॉ. टंडन कहती हैं, “यह निश्चित रूप से पहले से बदतर नहीं होने जा रहा क्योंकि पहली लहर में ही आबादी का बड़ा हिस्सा संक्रमित हो गया होगा. केस चरम पर आ गए होंगे क्योंकि इन केसों में इम्युनिटी का भी कुछ रोल होगा. इसलिए भले ही उन्हें दूसरा संक्रमण होता हो तो यह एक गंभीर संक्रमण नहीं बल्कि एक हल्की बीमारी ही होगा. दूसरी लहर, संख्या और गंभीरता, दोनों ही संदर्भों में पहली लहर से खराब नहीं होने वाली है. केसों की बढ़ती संख्या के साथ कुछ हर्ड इम्युनिटी (झुंड प्रतिरक्षा) भी होगी जो संख्या को अधिक ऊपर जाने से रोकेगी.