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अस्पतालों में नहीं मिल रहे बिस्तर, तो लोग घरों में करा रहे हैं आईसीयू सेटअप!

दिल्ली एनसीआर में इस सुविधा को देने वाली हेल्थ कंपनी 'मेडिरेन्ट हेल्थकेयर' के डायरेक्ट विवेक शर्मा बताते हैं कि वो कई सालों से इस काम को कर रहे हैं. पिछले साल जब कोरोना की पहली लहर आई थी उस वक्त काम का प्रेशर नहीं था, लेकिन इस बार काम का प्रेशर काफी ज्यादा था.

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घर पर ही इलाज करवाने की व्यवस्था कर रहे हैं लोग
घर पर ही इलाज करवाने की व्यवस्था कर रहे हैं लोग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कई कंपनियां घर पर ही कर रहीं हैं ICU सेटअप
  • कोरोना में अस्पतालों में बिस्तर मिलना हो गया है मुश्किल
  • 8 हजार से 15 हजार के आसपास प्रतिदिन खर्च

कोरोना की दूसरी लरह ने देश को झकझोर कर रख दिया है. कोरोना केस बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी देखी जा रही है. दवाएं भी कम पड़ रही हैं और कालाबाज़ारी ज्यादा हो रही है. कोरोना की दूसरी लहर ने सरकारों के तमाम दावों और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की पोल खोल कर रख दी है. लोग सरकारी अस्पतालों में जाने से कतरा रहे हैं. मरीजो और उनके परिवार वालो में इस तरह का अविश्वास पनप रहा है कि अगर हॉस्पिटल गए तो वापस नहीं लौटेंगे. ऐसे में अस्पतालों में जान गंवाने के डर से लोग अपने ही घर में ही आईसीयू व्यवस्था करवा रहे हैं.

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पीतमपुरा के विद्या विहार में रहने वाले 85 साल के रामस्वरूप मिश्रा 2 मई को कोरोना पॉजिटिव हुए थे. उम्र ज्यादा होने के चलते परिवार वाले रामस्वरूप को अस्पताल में एडमिट कराना चाहते थे लेकिन अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत के चलते उनको मजबूरन घर में ही उनका इलाज करना पड़ रहा था, डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर परिवार वाले उनको ट्रीटमेंट दे रहे थे.

रामस्वरूप के बेटे अमित मिश्रा ने बताया कि घर में रहते हुए 3 दिन बाद उनके पिता का अचानक से ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 से नीचे आ गया, डॉक्टर ने उनको अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कहा. लेकिन अस्पताल में बेड की सुविधा ना होने के चलते परिवार वालों ने घर में ही आईसीयू सेटअप कराना ज्यादा बेहतर समझा. रामस्वरूप के साथ 24 घंटे एक नर्स रहती थी. जो हर समय-समय पर हर चीज का ध्यान रखती थी. आज रामस्वरूप कोरोना से नेगेटिव हो गए हैं और बिल्कुल स्वस्थ हैं.

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रामस्वरूप की तरह ही 80 साल की कुमकुम गुप्ता गुरुग्राम में सीनियर सिटीजन सेंटर में अकेली रह रही थीं, मई की शुरुआत में ही उनको कोविड हो गया था. कुमकुम गुप्ता के दोनों बेटे इंडिया के बाहर रहते हैं. कुमकुम के बेटे मनीष गुप्ता ने बताया कि जब उनको पता चला कि उनकी मां को कोरोना हो गया है तो उन्होंने दिल्ली में रहने वाले रिश्तेदारों और अपने दोस्तों से उनको एडमिट कराने के लिए कहा. लेकिन बेड की किल्लत होने की वजह से  एडमिट नहीं करा पाए. ऐसे में उन्होंने अपनी मां के लिए दोस्तों की मदद से डॉक्टर और आईसीयू की व्यवस्था घर पर ही कराई, ताकि घर पर ही उनका इलाज हो सके. लेकिन जब तक सेटअप हुआ, तब तक बात हाथ से निकल गई थी. उनके शरीर में इंफेक्शन ज्यादा हो गया था,ऑक्सीजन लेवल भी काफी गिर गया और उनकी मौत हो गई.

घर पर ICU सेटअप में कितना खर्चा आता है?

आज कल इन खास सुविधा में हेल्थकेयर कंपनियां और हॉस्पिटल, मरीज के घर पर ही डॉक्टर भेज रहे हैं. मरीज की देखभाल के लिए नर्सों को भेजा जाता है, जरूरी दवाओं की डिलीवरी की जाती है. थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर की भी सप्लाई की जाती है. कुछ कंपनियां घरों पर मरीज के लिए पूरा आईसीयू सेटअप मुहैया कराती हैं, जिसका एक दिन का खर्च 8 हजार से लेकर 15 हजार के आसपास होता है.

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दिल्ली एनसीआर में इस सुविधा को देने वाली हेल्थ कंपनी 'मेडिरेन्ट हेल्थकेयर' के डायरेक्ट विवेक शर्मा बताते हैं कि वो कई सालों से इस काम को कर रहे हैं. पिछले साल जब कोरोना की पहली लहर आई थी उस वक्त काम का प्रेशर नही था, लेकिन इस बार काम का प्रेशर काफी ज्यादा था. एक दिन में 25 से 30 मरीजो के घर मे ऑक्सीजन से लेकर आईसीयू सेटअप करना पड़ रहा है. विवेक बताते हैं उनके द्वारा यह सेटअप डॉक्टर के कंसर्न पर किया जाता है मरीज की पूरी देखभाल डॉक्टर, उनकी कंपनी और नर्स और मरीज के परिजनों के साथ मिलकर होती है. व्हाट्सएप पर ग्रुप बनाया जाता है डॉक्टर द्वारा पूरा प्रिसकप्शन, ऑक्सीजन सैचुरेशन समय-समय पर ग्रुप में भेजा जाता जाता है.

 

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