कोरोना की उत्पत्ति को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बीच आईआईटी दिल्ली के रिसर्चर्स जिनकी रिसर्च BioRxiv के जर्नल में पब्लिश हुई थी, लेकिन बाद में हटा ली गई थी, का दावा है कि कोरोना के किसी लैब में पैदा होने के दावे को नकारा नहीं जा सकता है.
प्रो. बिस्वजीत कुंडु की अगुवाई वाली टीम का कहना है कि ये कहना काफी मुश्किल है कि ये वायरस लैब में बना है या नैचुरल है. बता दें कि इस टीम का आर्टिकल BioRxiv के जर्नल में पब्लिश हुआ था, लेकिन विवाद के बाद हटा लिया गया. हालांकि, अब जब इसकी चर्चा फिर से शुरू हुई है तब टीम की ओर से बयान दिया गया है कि उनकी रिसर्च कोरोना के शुरुआती दिनों में की गई थी.
रिसर्च में दावा किया गया था कि शुरुआत में ये पता लगा था कि वायरस के चार स्पाइक प्रोटीन में से तीन हिस्से HIV से मेल खाते थे. रिसर्च को लेकर शुरुआत में हुए विवाद को लेकर कहा गया कि रिसर्च का प्री-प्रिंट काफी चर्चा में रहा था, लेकिन पब्लिक डोमेन में उन बातों को ट्विस्ट किया गया. हमारी कोशिश सिर्फ इतनी थी कि जो बात हमें पता लगी है, उसे सामने रखा जाए.
टीम की ओर से बयान दिया गया कि क्योंकि वो प्री-प्रिंट था, ऐसे में हमने रिसर्च पेपर को वापस ले लिया था. टीम का कहना है कि हमारी जिस रिसर्च पर विवाद हुआ, उसके कुछ हिस्सों को अलग-अलग जगह छापा भी गया था. हमारा अभी भी मानना है कि ये कहना बहुत मुश्किल है कि कोरोना वायरस लैब में बना या फिर नैचुरल तौर पर आया.
आपको बता दें कि कोविड की उत्पत्ति को लेकर दुनियाभर में बहस हो रही है. अमेरिका ने भी इसकी जांच तेज कर दी है, दुनिया के कई देशों का मानना है कि कोरोना चीन के वुहान की एक लैब में तैयार हुआ था, जबकि चीन ने इससे इनकार किया है.
(रिपोर्ट: अमनदीप शुक्ला)