भारत में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों का सिलसिला बढ़कर शुक्रवार को 4,00,000 पार कर गया है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में आधा से ज्यादा मौतें हुई हैं, जिसमें देश का हेल्थ केयर सिस्टम बुरी तरह से ध्वस्त हो गया था, अस्पतालों में बेड्स की किल्लत देखने को मिली थी और श्मशानों पर कतारों में शव पड़े थे.
भारत में कोरोना के दस्तक देने के बाद से अब तक 3 करोड़ से ज्यादा कोरोना संक्रमण के केस दर्ज किए गए हैं. ये आकंड़े अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा थे. अमेरिका में कोरोना के कुल मामले 33 मिलियन से ज्यादा सामने आए थे. अमेरिका में 604,000 मौतें हुई हैं, वहीं ब्राजील में करीब 518,000 लोग कोरोना से संक्रमित होने के बाद जान गंवा चुके हैं. अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत में ही कोरोना से सर्वाधिक मौतें हुई हैं.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. देश में बीते 24 घंटे के भीतर 853 कोविड-19 मरीजों ने कोरोना से संक्रमित होने के बाद जान गंवा दी. ये आंकड़े शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए हैं. महज 39 दिनों में ही 100,000 लोग कोरोना संक्रमित होने के बाद जान गंवा चुके हैं.
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जब नदियों में बहते दिखे शव!
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में मौतों की संख्या काफी कम दर्ज की गई है, वहीं वास्तविक संख्या दस लाख या इससे भी अधिक हो सकती है. उत्तर भारत में गंगा नदी के तटों पर शवों की शृखंला देखी गई थी. लाशें नदियों में तैर रही थीं. कोरोना की दूसरी लहर में लोग संघर्ष कर रहे थे कि लाश को पानी में बहाया जाए, या दफ्न किया जाए, या जलाया जाए.
कितने लोगों की गई जान, अंदाजा नहीं!
कोच्चि के राजगिरी कॉलेज में सोशल साइंस पढ़ाने वाले प्रोफेसर रिजो एम जॉन के मुताबिक राज्यों में कोरोना से होने वाली मौतें कम दर्ज हुई हैं. ऐसा सिस्टम में मौजूद खामियों की वजह से हुआ है. हमें इस बात का अंदाजा कभी नहीं होगा कि कोरनोा की दूसरी लहर में कितने लोगों ने जान गंवाई है.
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बिहार में एक स्थानीय कोर्ट के आदेश के बाद कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा संशोधित कर 5,424 से 9,429 किया गया. अप्रैल तक भारत में कोरोना से 200000 मौतें दर्ज की गई थीं, वहीं महज 28 दिनों में यह आंकड़ा 3 लाख तक पहुंच गया था. ऐसे में वास्तविक आंकड़ों पर कई लोग संदेह जता रहे हैं.
अस्पतालों में भर्ती होने के लिए तड़प रहे थे मरीज!
कोरोना की दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड्स की किल्लत सामने आई थी. जिन्हें बेड्स मिल गए थे, ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा था. जरूरी दवाइयों की कमी से मरीजों को जूझना पड़ा. अप्रैल और मई में स्थितियां बेहद भयावह रहीं. लोग अस्पतालों के बाहर, पार्किंग और अपने घरों में इलाज के अभाव में दम तोड़ते नजर आए.
तीसरी लहर दे सकती है दस्तक
भारत में कोरोना की तीसरी लहर भी दस्तक दे सकती है. मई में कोविड के मामले पीक पर जाने के बाद धीरे-धीरे कम होने लगे. केंद्र सरकार और स्वास्थ्य अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है. देश को धीरे-धीरे अनलॉक की ओर जाना चाहिए. तीसरी लहर को लाने में देसी वैरिएंट डेल्टा प्लस की बड़ी भूमिका हो सकती है.