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India today healthgiri awards 2021: कोवैक्सीन की मान्यता पर विवाद, डॉ गुलेरिया ने दिया ये जवाब

आजतक के खास कार्यक्रम 'इंडिया टुडे ग्रुप हेल्थगीरी अवॉर्ड्स' समारोह में बोलते हुए एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बुस्टर डोज पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि  बूस्टर को लेकर अभी तक कोई ऐसा डेटा नहीं है जो प्रोटेक्शन को लेकर सही जानकारी दे सके. क्योंकि इसमें यह जानना जरूरी होगा कि बूस्टर डोज कब लगनी चाहिए.

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डॉ रणदीप गुलेरिया
डॉ रणदीप गुलेरिया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'इंडिया टुडे ग्रुप हेल्थगीरी अवॉर्ड्स' समारोह मे डॉ गुलेरिया ने की शिरकत
  • 'पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को लगे डोज'
  • 'बूस्टर डोज पर अभी ज्यादा डेटा उपलब्ध नहीं'

दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि वैक्सीनेशन के बाद कोरोना संक्रमण खतरनाक नहीं होगा. वैक्सीन लगी है तो कोरोना हो सकता है लेकिन आप ठीक हो जाएंगे. आपको अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसलिए ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन के बाद कोरोना की लहर रोकने में मदद मिलेगी.

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आजतक के खास कार्यक्रम 'इंडिया टुडे ग्रुप हेल्थगीरी अवॉर्ड्स' समारोह में बोलते हुए एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बूस्टर डोज पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि बूस्टर डोज को लेकर अभी तक कोई ऐसा डेटा नहीं है जो प्रोटेक्शन को लेकर सही जानकारी दे सके. क्योंकि इसमें यह जानना जरूरी होगा कि बूस्टर डोज कब लगनी चाहिए. दूसरी बात कि पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन देने की जरूरत है. उसके बाद अगर वैक्सीन बचती है तो वैक्सीन की बूस्टर डोज की बात होनी चाहिए.

क्या कोरोना बूस्टर डोज की है जरूरत? AIIMS डायरेक्टर ने बताया

UK में मान्यता न देना बिल्कुल गलत

डॉ गुलेरिया से जब कोवैक्सीन की मंजूरी पर क्यों हो रहा विवाद पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये विवाद बिल्कुल गलत है. UK में वैक्सीन पर रिसर्च हुई. अपनी वैक्सीन भी वहां बनी. भारत ने दुनिया के लिए वैक्सीन बनाई. UK की कम्पनी ने सीरम इंस्टीट्यूट को लाइसेंस दिया. फिर मान्यता नहीं देना या इसपर विवाद खड़ा करना बिल्कुल गलत है. भारत में जो वैक्सीन बनी है वही दुनिया भर में लगाई जाएगी. क्योंकि ये ज्याता तापमान पर भी सुरक्षित है. ऐसे में दुनिया भर में वैक्सीनेशन में तेजी लाने के लिए कोवैक्सीन को मंजूरी मिलना जरूरी है. 

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दूसरी लहर थमने के बाद स्कूल खुल रहे हैं. ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजने पर कितना खतरा है. इस सवाल के जवाब में डॉ गुलेरिया ने कहा कि 2 साल से बच्चे स्कूल नहीं गए हैं. स्कूल एक इंटरएक्टिव जगह है. जहां बच्चे पढ़ाई के अलवा संवाद करते हैं. इसलिए बच्चों को स्कूल जाने में कोई खतरा नहीं है. लेकिन सावधानी बरतने की जरूरत है. सीरो सर्वे में देखने को मिला है कि 50-60 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी बन चुकी है. तो हम कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं. लेकिन निगरानी रखने की जरूरत है और अलर्ट रहना होगा.

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