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कोविड-19 वैक्सीन (टीका) को लेकर चर्चा का फोकस ट्रायल्स और इसके कैंडीडेट्स पर टिका है, जो कि सही दिशा में है. साथ ही ऐसे कयास भी सुर्खियों में है कि वैक्सीन आखिरकार उपलब्ध कब होगी और किस कीमत पर? हालांकि एक नया सर्वे बताता है कि भारत में विज्ञान और वैक्सीन्स से जुड़े मुद्दों पर कम ध्यान दिया जाता है, वहीं अमेरिका में ये जोरदार बहस का विषय बनते हैं.
अमेरिका स्थित प्यू रिसर्च सेंटर ने हाल ही में दुनिया भर के 20 देशों के लोगों का सर्वे किया. सर्वे के लिए साक्षात्कार अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच यूरोप, रूस, अमेरिका और एशिया-पैसेफिक क्षेत्र में किए गए. सर्वे के लिए रूस, पोलैंड, चेक गणराज्य, भारत और ब्राजील में लोगों से आमने-सामने बात की गई.
प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक बाकी सभी जगह फोन पर साक्षात्कार किए गए. सर्वे में हर देश में 18 साल या उससे अधिक आयु के प्रतिभागी के सेम्पल लिए गए. भारत के सेम्पल में ध्यान रखा गया कि इसकी डेमोग्राफिक (जनसांख्यिकीय) विशालता को प्रतिनिधित्व मिले. प्यू रिपोर्ट “किसी देश में विज्ञान और समाज में इसके स्थान को लेकर आम सोच का निरीक्षण करती है. साथ ही विज्ञान से जुड़े अनेक मुद्दों पर रवैया क्या रहता है, इस पर भी ध्यान दिया जाता है.”
सामान्य तौर पर, भारतीयों का रुख वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक प्रगति के लिए समर्थन वाला रहा, लेकिन वैक्सीन्स को लेकर सर्वे में कुछ चिंताजनक संकेत भी सामने आए. जिन देशों को सर्वे में शामिल किया गया उनमें लोगों में सबसे कम हिस्सेदारी (75%) भारत में थी जिनका मानना था कि वैक्सीन्स के एहतियाती स्वास्थ्य लाभ ‘ऊंचे’ या मध्यम हैं. ये हिस्सेदारी स्वीडन में सबसे अधिक 96% थी. इस फेहरिस्त में ब्राजील का स्थान 16वां और अमेरिका का 12वां है. बता दें कि अब तक दुनिया में सबसे ज्यादा कोविड-19 मौतें अमेरिका में हुई है. महामारी से मौतों की संख्या में ब्राजील का नंबर दूसरा रहा है. रूस इस लिस्ट में 15वें स्थान पर है.
इसके अलावा, आम तौर पर यह उम्मीद की जाती है कि कम शिक्षित लोगों को वैक्सीन्स में फायदा नहीं दिखता. लेकिन ये बात भारत के लिए सच नहीं है. भारत उन गिने चुने देशों में से एक है जहां अधिक शिक्षित लोगों में से करीब आधे हिस्से में वैक्सीन्स के लाभ दिखने की संभावना नहीं दिखी.
यह एक बड़े देश के लिए बड़ी चिंता की बात है, जहां संक्रामक बीमारियों का अधिक बोझ है. भारत टीकाकरण दर की दृष्टि से पहले से ही दुनिया के विकासशील देशों के निचले आधे हिस्से में आता है. भारत में एक वर्ष से कम उम्र के लगभग 62 प्रतिशत लड़के-लड़कियों का टीकाकरण किया जाता है. ये आंकड़ा कई गरीब अफ्रीकी देशों से भी बदतर है.
कोविड-19 वैक्सीन की ओर वैज्ञानिक प्रगति के साथ, भारत को एक और काम करने की आवश्यकता है और वो काम है लोगों के बीच वैक्सीन्स की व्यापक स्वीकार्यता के लिए जागरूकता बढ़ाना. इसके लिए लोगों तक बड़े पैमाने पर पहुंचने के लिए मुहिम छेड़ी जानी चाहिए.